लखनउ। बिहार विधानसभा चुनाव से ऐन पहले हुई गलती को सुधारते हुए उत्तर प्रदेश में नयी सियासी इबारत लिखने के लिये सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी सपा द्वारा आयोजित रजत जयन्ती समारोह रूपी 'मेगा पॉलिटिकल शो' में महागठबंधन की नींव पड़ती नजर आयी और लगभग सभी समाजवादी तथा चरणसिंहवादी नेता एक बार फिर सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव को इस गठजोड़ की कमान देने पर रजामंद दिखे।
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले प्रदेश के साथ-साथ देश की सियासत में भी नयी हलचल पैदा करने के मकसद से आयोजित इस समारोह में उपस्थित वरिष्ठ नेता वर्ष 2017 के प्रदेश विधानसभा चुनाव के साथ-साथ साल 2019 के लोकसभा चुनाव पर नजरें लगाए इस साथ को दूर तक निभाने का इरादा जताते दिखे।
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हालांकि इस मौके पर किसी गठबंधन की औपचारिक घोषणा नहीं हुई, लेकिन समारोह में मौजूद राष्ट्रीय लोकदल रालोद अध्यक्ष अजित सिंह, जनता दल यूनाइटेड जदयू के वरिष्ठ नेता शरद यादव, राष्ट्रीय जनता दल राजद मुखिया लालू प्रसाद यादव और जनता दल सेक्युलर के प्रमुख एच. डी. देवेगौड़ा ने एक सुर में मुलायम को गठबंधन की कमान देने की बात कही।
बिहार विधानसभा के पिछले चुनाव से ठीक पहले महागठबंधन का प्रमुख घटक होने के बावजूद उससे अलग होने वाली सपा के मुखिया मुलायम सिंह यादव ने भी कहा कि उन्होंने पार्टी की रजत जयन्ती समारोह में इन नेताओं को इसलिये बुलाया है क्योंकि पहले सभी साथ थे और अब उन्हें लगता है कि सभी को पुनएकजुट होना चाहिये। जल्द ही सभी मिल-बैठकर और बातचीत करेंगे।
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कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पूर्व प्रधानमंत्री एच. डी. देवेगौड़ा ने इस मौके पर कहा कि देश में साम्प्रदायिक ताकतों से लडऩे के मामले में सपा एक 'लैंडमार्क पार्टी' है। मुलायम सिंह यादव, लालू यादव, शरद यादव समेत सभी वरिष्ठ नेताओं को आगे आकर साम्प्रदायिक ताकतों से लडऩा चाहिये। मेरा आग्रह है कि एकजुट हो जाएं और मुलायम सिंह यादव की अगुवाई में साम्प्रदायिक ताकतों से लड़ें।
कभी सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव के राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी रहे रालोद अध्यक्ष अजित सिंह ने भी मुलायम को अपना नेता मानते हुए कहा कि उन्होंने जितनी मेहनत सपा को बनाने में की, उतनी ही मेहनत लोकदल को खड़ा करने में भी की थी। मुलायम सिंह की जिम्मेदारी बनती है कि समान विचारधारा वाले सभी दलों को एकत्र करें। इससे सिर्फ उत्तर प्रदेश का नहीं बल्कि पूरे देश का भला होगा।
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उन्होंने कहा कि आज देश के सामने बहुत बड़ा संकट है। केन्द्र में ऐसी सरकार है जो लोगों को लड़ाना चाहती है। देश को बचाना है तो हमें इकट्ठा होना होगा। उत्तर प्रदेश का चुनाव देश की किस्मत तय करने वाला है। आज हम प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिये जो गठबंधन बनाने की बात कर रहे हैं, उसे और बड़ा करके हमें 2019 की लड़ाई लडऩी है।
राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने भी कहा कि मुलायम सिंह की जिम्मेदारी बनती है कि वह समान विचारधारा वाले सभी दलों को बुलाकर बातचीत शुरू करें। ''भाजपा को किसी भी कीमत पर उत्तर प्रदेश में सत्ता में नहीं आने देना है।
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जदयू के नेता शरद यादव ने भी मुलायम के नेतृत्व में गठबंधन की जरूरत बताते हुए कहा कि केन् में सत्तारूढ़ भाजपा का हर मुद्दा बंटवारे की तरफ जाता है। देश इतने अंधकार में पहले कभी नहीं था। सभी धर्मनिरपेक्ष विचारधारा वाले दलों को एकजुट होने की जरूरत है। एकता बने, क्योंकि यही हिन्दुस्तान को बचा सकती है।
जदयू के राज्यसभा सदस्य ने कहा कि वह यकीन के साथ कह सकते हैं कि मुलायम में समाजवादियों और चौधरी चरणसिंहवादियों को एकजुट करने की ताकत और काबिलियत है। जनता एकता चाहती है। आप सब पर जिम्मेदारी है कि एकता के लिये जुटें।
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हरियाणा विधानसभा में विपक्ष के नेता अभय चौटाला ने भी कहा कि मंच पर बैठे नेता छोटे-मोटे आपसी मतभेद खत्म कर तीसरा मोर्चा बनायें। भाजपा देश को तोड़कर अपनी राजनीति चमकाती है, आज आप उसे एक ऐसा संदेश दे रहे हैं, कि जिस तरह जनता दल बना था, उसी तरह तीसरे मोर्चे को खड़ा किया जाएगा।
सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव ने अपने अध्यक्षीय सम्बोधन में कहा, ''देश के तमाम समाजवादी और चौधरी चरणसिंहवादी नेता ऐसे मौके पर एकजुट हुए हैं, जब जनता में भ्रम की स्थिति है कि आगे क्या होगा। जनता को मैंने आज विश्वास दिला दिया है कि देश की एकता जरूरी है। हम इसके लिये समर्पित रहेंगे।
उन्होंने कहा कि यह सम्मेलन सिर्फ सत्ता हासिल करने के मकसद से आयोजित नहीं किया गया है। समाजवादी आंदोलन तो भाषा, गरीबी-अमीरी और क्षेत्रीयता के नाम पर गैरबराबरी और भेदभाव को मिटाने के लिये है।
मुलायम ने समाजवादी आंदोलन तथा संघर्ष के अपने साथियों के योगदान के बारे में विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि यहां बैठे लोग समाजवाद के पोषण के लिये लड़ेंगे। ''यह सम्मेलन संकल्प करने के लिये है कि ना अन्याय करेंगे, ना होने देंगे।
उन्होंने कहा ''देश की सुरक्षा को लेकर गम्भीर समस्याओं का समाधान करना होगा। जनता जवाब मांगेगी। हमने मिलकर लड़ाई लड़ी है। एक समय था जब हम सब एक थे। हमारे मन में भावना पैदा हुई कि हम सब फिर एक हों। हम मिलकर देश के बारे में सोचेंगे, जनता के बारे में सोचेंगे।
मालूम हो कि बिहार विधानसभा के पिछले चुनाव में समाजवादी पार्टी सपा 'जनता परिवार' के महागठबंधन का अहम घटक था और सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव को उसका नेतृत्व सौंपा गया था। लेकिन चुनाव से ऐन पहले सपा ने अपेक्षित संख्या में सीटें ना मिलने का हवाला देते हुए गठबंधन से हाथ खींच लिया था। हालांकि चुनाव में राजद, जदयू और कांग्रेस के महागठबंधन ने भाजपा की अगुवाई वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन को शिकस्त देकर सरकार बनायी थी।
उस वक्त माना गया था कि सपा ने देश की राजनीति में दूरगामी संदेश देने वाले बिहार विधानसभा चुनाव से ऐन पहले गठबंधन से अलग होकर पार्टी मुखिया मुलायम सिंह यादव को राष्ट्रीय फलक पर एक बार फिर बेहद मजबूत नेता के तौर पर उभरने का मौका गंवा दिया था।
भाषा