सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को आधारकार्ड को लेकर एक बार फिर अपनी स्थिति स्पष्ट की है। कोर्ट ने कहा है की सरकार और उसकी एजेंसियां सामाजिक कल्याण योजनाओं का लाभ पाने के लिए आधार कार्ड को अनिवार्य नहीं कर सकती हैं।
मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जे. एस. खेहर, न्यायमूर्ति डी वाई चन्द्रचूड़ और न्यायमूर्ति एस के कौल की पीठ ने हालांकि यह भी कहा कि सरकार और उसकी एजेंसियों को गैर-कल्याणकारी कार्यों, जैसे कि बैंक खाता खुलवाने में आधार कार्ड मांगने से मना नहीं किया जा सकता।
पीठ ने कहा कि नागरिकों की निजता के अधिकार का उल्लंघन सहित अन्य आधार पर आधार योजना को चुनौती देने संबंधी याचिकाओं पर निणार्यक फैसला देने के लिए सात न्यायाधीशों वाली पीठ के गठन की आवश्यकता होगी।
हालांकि, न्यायालय ने सात न्यायाधीशों वाले पीठ के गठन पर असमर्थतता जताते हुए कहा कि इस पर फैसला बाद में होगा। याचिका दायर करने वालों मे से एक की ओेर से पेश हुए वरिष्ठ वकील श्याम दीवान ने आरोप लगाया कि केन्द्र सरकार सुप्रीम कोर्ट के विभिन्न फैसलों का सम्मान नहीं कर रही है।