शिक्षण के साथ शोध पर भी बल दें विश्वविद्यालय : प्रणब

Samachar Jagat | Sunday, 19 Mar 2017 05:41:00 AM
Emphasize research on teaching with university: Pranab

सोनीपत। हरियाणा के सोनीपत शहर में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने आज ओपी भजदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी में आयोजित‘भविष्य के विश्वविद्यालय: ज्ञान, नवाचार एवं जिम्मेदारी’विषय पर आयोजित एक तीन दिवसीय सेमिनार का उद्घाटन किया। 

इस अवसर पर मुखर्जी ने अपने संबोधन में कहा कि प्राचीन समय में शिक्षा की बदौलत भारत पूरी दुनिया में विश्वगुरु था। उन्होंने कहा कि कई देशों से छात्र शिक्षा लेने के लिए भारत के नालंदा और तक्षशिला विश्वविद्यालय में आते थे। मुखर्जी ने कहा कि भारत में 757 विश्वविद्यालय, 36 हजार डिग्री कॉलेज, 16 आईआईटी और 30 एनआईआईटी की स्थापना हो चुकी है इसके बावजूद भारत को उच्चतर शिक्षा के मामले में और भी तेजी से कदम बढ़ाने होंगे। इस अवसर पर हरियाणा के राज्यपाल प्रो कप्तान सिंह सोलंकी, शिक्षा मंत्री प्रो रामबिलास शर्मा, महिला एवं बाल विकास मंत्री कविता जैन, सांसद रमेश कौशिक, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की प्रो वाइस चांसलर डॉ एलिस प्रोचस्का भी मौजूद थीं। 

राष्ट्रपति ने कहा कि 2030-50 के बीच भारत में युवाओं की आधी आबादी 35 वर्ष से भी कम होगी। युवाओं को कौशल और गुणवत्तापरक उच्चतर शिक्षा प्रदान कर उन्हें ग्लोबल प्रतिस्पर्धा में सक्षम बनाने के लिए अभी से एकजुट होना होगा। मुखर्जी ने जर्मनी के एकीकरण करने में अहम योगदान देने वाले चिंतक बिस्मार्क को याद करते हुए कहा कि भारत पूरी दुनिया में नेतृत्व करने की क्षमता रखता है। लोकतांत्रिक प्रणाली की बदौलत दुनिया के अन्य देश भारत की ओर उम्मीद की नजरों से देख रहे हैं। उन्होंने देश के बड़े औद्योगिक घरानों से उम्मीद जताई कि वे उच्चतर शिक्षण संस्थान खोलने की ओर कदम बढ़ाये, जिसमें सरकार का सहयोग लिया जाये। 

उन्होंने कहा कि शिक्षण संस्थाओं को शिक्षा प्रदान करने के साथ-साथ शोध पर भी ध्यान देने की जरूरत है। शोध से ही भविष्य की जरूरतों को पूरा किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि हमें समस्याओं का समाधान करने वाले मस्तिष्क की जरूरत है। उन्होंने यूनिवर्सिटी, इंडस्ट्री लीकेज के विश्वविद्यालयों को चिंतक एंव चिंता करने की सलाह दी। उन्होंने शिक्षण संस्थाओं में शोध के लिए आधुनिक प्रयोगशालाओं को स्थापित करने पर भी बल दिया। 

शिक्षा मंत्री रामबिलास शर्मा ने कहा कि हरियाणा गीता की जन्मभूमि है और ज्ञान, अन्वेषण और जिम्मेदारी भारत का पेटेंट है। ज्ञान ही भविष्य है और ये वो धारा है जो हर समय चलती रहती है। उन्होंने कहा कि गीता ज्ञान भी है और विज्ञान भी, गीता शंका भी है और समाधान भी। गीता की इसी महता को ध्यान में रखते हुए प्रदेश सरकार ने पाठ्यक्रमों में गीता को शामिल किया है। 

कार्यक्रम में ओपी भजदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी के कुलाधिपति नवीन जिंदल ने कहा कि यह सेमिनार हरियाणा प्रदेश के स्वर्ण जयंती के पावन अवसर पर आयोजित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जब हम भविष्य के विश्वविद्यालयों की बात करते हैं तो हमें अनेक महत्वपूर्ण मुद्दों का समाधान चाहिए। इसके लिए पाठ्यक्रमों का समावेश होना जरूरी है। इसके साथ-साथ पाठ्यक्रम रोजगारपरक हों और उन पाठ्यक्रमों की ग्लोबल स्तर पर मान्यता भी हो। इन विषयों को अगर हम ध्यान में रखकर शिक्षा प्रदान करेंगे तो युवाओं का बेहतर भविष्य होगा और रोजगार भी मिलेगा। इस अवसर पर उन्होंने यूनिवर्सिटी परिसर में स्कूल ऑफ जर्नलिज्म शुरू करने की भी घोषणा की जिसमें आधुनिक मीडिया के बारे में बच्चों को प्रशिक्षण मिलेगा। 

कार्यक्रम में ओपी जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो. सी राजकुमार, हरियाणा के मुख्य सचिव डीएस ढेसी, डीजीपी केपी सिंह एंव विभिन्न शिक्षण संस्थाओं के शिक्षक तथा छात्र मौजूद थे। -(एजेंसी)



 
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