नई दिल्ली। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज बढ़ती गैर निष्पादित आस्तियों एनपीए के मुद्दे के निपटान के लिए रिजर्व बैंक गवर्नर उर्जित पटेल और वित्त मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ विभिन्न विकल्पों पर गहन विचार विमर्श किया। हालांकि, इस बैठक में ‘बैड बैंक’ की स्थापना प्रमुख विकल्प के रूप में नहीं उभरा।
जेटली ने बैंकिंग क्षेत्र में दबाव वाली संपत्तियों की समस्या के हल के विकल्पों पर विचार के लिए यह बैठक बुलाई थी। रिजर्व बैंक जहां बड़े रिण चूककर्ताओं को और समय देने के पक्ष में नहीं था। वहीं वित्तीय सेवा विभाग ने एनपीए और दबाव वाली संपत्तियों के प्रबंधन के ‘उपायों’ को और मजबूत करने के संबंध में प्रस्तुतीकरण दिया।
बैठक में दबाव वाली संपत्तियों के निपटान के लिए निजी संपत्ति प्रबंधन कंपनी पीएएमसी तथा राष्ट्रीय संपत्ति प्रबंधन कंपनी एनएएमसी की अवधारणा पर भी चर्चा होगा। इसके अलावा बैठक में डूबे कर्ज से निपटने के लिए रिजर्व बैंक की विभिन्न योजनाओं पर भी चर्चा हुई। एक सूत्र ने कहा कि दबाव वाली संपत्तियों की समस्या से निपटने को कई विकल्पों पर विचार हुआ। रिजर्व बैंक ने कुछ सुझाव दिए हैं जिन्हें आगे बढ़ाया जाएगा और पुख्ता आकार दिया जाएगा।
हालांकि, बैठक में किसी चीज को अंतिम रूप नहीं दिया गया। लेकिन इस तरह के कर्ज के लिए बैड बैंक स्थापित करना नीति निर्माताओं का शीर्ष विकल्प नहीं था। -(एजेंसी)