नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विमुद्रीकरण के अपने फैसले की चौतरफा आलोचना को गुरुवार को पूरी तरह खारिज करते हुए कहा कि यह एक बहुत बड़ा फैसला था।
मोदी ने इंडिया टुडे को दिए एक साक्षात्कार में कहा, यदि आप पूरी स्पष्टता और पवित्र उद्देश्य के साथ काम करते हैं तो उसके अच्छे परिणाम सामने आएंगे और हर कोई उन्हें देख सकेगा। मेरे विरोधी कुछ भी कह सकते हैं लेकिन मैं इस फैसले से कोई व्यक्तिगत फायदा नहीं लेना चाहता क्योंकि इससे सबसे बेहतरीन परिणाम सामने आएंगे।
उन्होंने कहा कि यह फैसला अपने आप में इतना बड़ा था कि देश के बेहतर अर्थशास्त्री अपने गणनाओं और आंकड़ों को लेकर भ्रम में रहे। उन्होंने कहा कि देश के सवा सौ करोड़ लोगों ने पूरे दिल से इस निर्णय का स्वागत किया और हर तरह की मुश्किलें झेलते हुए इसे अपना पूरा समर्थन दिया क्योंकि उनके अंतर्मन ने इस फैसले के प्रभाव और उसके महत्व को समझ लिया था।
उन्होंने कहा कि पांच सौ रुपए और एक हजार के नोटों को अमान्य करार दिए जाने से भ्रष्टाचार से जुड़ी गतिविधियों की मूल जड़ों पर बहुत तेज प्रहार हुआ है और इससे देश में जमा कालेधन को बाहर आने में मदद मिली है। चाहे वह राजनेताओं, नौकरशाहों, व्यापारियों, पेशेवरों और किसी अन्य के पास था। इस फैसले ने आतंकवादियों और माओवादियों की कमर भी तोड़ दी क्योंकि उनके पास भी भारी मात्रा में कालाधन था।
मोदी ने कहा, आपको यह बात अच्छी तरह समझनी है कि विमुद्रीकरण का फैसला अल्पकालीन लाभ के लिए नहीं लिया था बल्कि दीर्घकालीन ढ़ांचांगत सुधार के लिए लिया था। हमारा उद्देश्य अपनी अर्थव्यवस्था और समाज को कालेधन के चंगुल से बचाना था। इस फैसले के बाद हमें असंतोष और कृत्रिम दवाबों को भी झेलना पड़ा था।
उन्होंने कालेधन की जमाखोरी करनेवालों को चेतावनी देते हुए कहा कि सरकार किसी को भी अपने दिशा-निर्देशों का उल्लंघन कतई नहीं करने देगी। उन्होंने कहा, मैं आपको आश्वस्त करता हूं कि इस तरह की चीजें बिल्कुल भी नहीं होंगी।
सरकार की ओर से जारी दिशा-निर्देशों में बार-बार किए गए बदलावों को लेकर आलोचनाओं से जुड़े एक सवाल पर मोदी ने कहा, किसी भी नीति और रणनीति में अंतर अवश्य होता है। विमुद्रीकरण की नीति बहुत स्पष्ट थी लेकिन दुश्मन से एक कदम आगे बढऩे के लिए रणनीति में बदलाव किया जा सकता है।
गौरतलब है कि मोदी ने गत आठ नवम्बर को विमुद्रीकरण की घोषणा करते हुए चीजों में सुधार आने के लिए लोगों से 50 दिन का समय मांगा था और यह समयसीमा आज ही पूरी हुई है।