दिल्ली की हवा की गुणवत्ता इस मौसम में सबसे बदतर, विशेषज्ञों ने 1952 के लंदन के ‘ग्रेट स्मॉग’ से की मौजूदा हालात की तुलना

Samachar Jagat | Monday, 07 Nov 2016 01:41:39 AM
Delhi's air quality worse in this season, the experts of the 1952 London's Great smog

नई दिल्ली। साल 1952 के लंदन के कुख्यात ‘ग्रेट स्मॉग’ की याद दिलाते हुए पिछले करीब एक हफ्ते से दिल्ली में छाई धुंध और धुएं की घनी चादर से हवा की गुणवत्ता आज इस मौसम के सबसे खराब स्तर पर पहुंच गई । पिछले 24 घंटे में रही हवा की औसत गुणवत्ता के अब अधिकतम सीमा पार करने की भी आशंका है ।
सांसों के जरिए फेफड़े में दाखिल होने वाले प्रदूषक कण पीएम 2.5 और पीएम 10 का स्तर कई स्थानों पर सुरक्षित सीमा से 17 गुना ज्यादा रहा । केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड सीपीसीबी और ‘सफर’ की ओर से संचालित निगरानी स्टेशनों का हर घंटा वायु गुणवत्ता सूचकांक एक्यूआई 500 से ज्यादा रहा जो अधिकतम सीमा से कहीं ज्यादा है ।
विशेषज्ञों ने कहा कि प्रदूषक कणों की मात्रा जैसे अन्य मानकों के मामले में सल्फर डाइऑक्साइड एसओ2 का स्तर शहर में अब भी नियंत्रण में है, जबकि हालात कमोबेश वैसे ही हैं जैसे लंदन में 1952 के ‘ग्रेट स्मॉग’ के दौरान थे । ‘ग्रेट स्मॉग’ के दौरान करीब 4,000 लोगों की असामयिक मौत हो गई थी ।
सेंटर फॉर साइंस एंड एन्वॉयरामेंट की अनुमित्रा रायचौधरी ने पीटीआई-भाषा को बताया, ‘‘1952 में लंदन में पसरे धुंध और धुएं से तब करीब 4,000 लोगों की असामयिक मौत हो गई थी जब एसओ2 का स्तर काफी उंचा होने के साथ-साथ औसत पीएम स्तर करीब 500 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर तक पहुंच गया था । यहां एसओ2 का संकेंद्रण उतना ज्यादा भले ही नहीं है, लेकिन जैसा कि हमने दिवाली पर देखा, कई गैसों में अच्छी-खासी बढ़ोत्तरी हुई है । कुल मिलाकर यह एक जहरीली मिलावट है ।’’ 
अनुमित्रा ने कहा, ‘‘यदि ऐसा ही स्तर बना रहा तो दिल्ली में भी असामयिक मौतें हो सकती हैं।’’
सीएसई ने पिछले साल एक रिपोर्ट में कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में हर साल करीब 10,000 से 30,000 मौतों के लिए वायु प्रदूषण जिम्मेदार होता है । 
सीएसई ने कहा कि दिल्ली में धुंध और धुएं का स्तर पिछले 17 साल में सबसे ज्यादा है । 
अनुमित्रा ने दिल्ली सरकार की ओर से स्कूलों और बिजली संयंत्रों को बंद करने के आपातकालीन उपायों का स्वागत किया । बहरहाल, इसमें वाहनों के पहलू को शामिल नहीं करने पर अफसोस जताया ।
उन्होंने कहा, ‘‘आपात स्थिति करीब एक हफ्ते से कायम है । लेकिन हमें दिमाग में रखना चाहिए कि ऐसे उपायों का मकसद सिर्फ प्रदूषण के उंचे स्तरों को कम करना होता है ।’’ 



 

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