नई दिल्ली। राजधानी में वायु प्रदूषण के खतरनाक स्तर तक पहुंच जाने से चिंतित केन्द्र सरकार ने आज दिल्ली के पड़ोसी राज्यों के साथ सचिव स्तर की बैठक करके इस संकट से निबटने के उपायो पर विस्तार से चर्चा की।
केन्द्रीय वन एंव पयार्वरण मंत्रालय के सचिव अजय नारायण झा की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और पंजाब के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुई। गहन विचार विमर्श के बाद राज्यों के प्रतिनिधियों ने इस बात पर सहमति जताई कि वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए तत्काल प्रभावी उपाय जरुरी हैं और वे मिलकर इस दिशा में कदम उठाएंगे।
बैठक में लिए गए महत्वपूर्ण फैसलों में यह तय किया गया कि केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा प्रदूषण बचाव और नियंत्रण कानून 1981 की धारा 18 एक के तहत 29 दिसंबर 2015 के तहत जारी आदेश तथा 2 नवंबर 2016 को एनसीआर की 22 स्थानीय निकायों को जारी निर्देशों को पूरी तरह अमल में लाया जाएगा।
इन निर्देशों में वाहन उत्सर्जन में कटौती, सडक़ों और निमार्ण स्थलों से उडऩे वाली धूल तथा जैव कचरे के जलावन से होने वाले वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने तथा औद्योगिक इकाइयों से होने वाले प्रदूषण को रोकने जैसी बातें शामिल हैं।
बैठक में प्रदूषण फैलाने, क्षमता से अधिक भार ढोने और पार्किंग स्थलों पर खड़े नहीं किए जाने वाहनों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने पर भी सहमति बनी। यह भी तय किया गया कि यातायात नियमों को सख्ती से लागू किया जाएगा और प्रदूषण नियंत्रण की जिम्मेदारी संभालने वाली इकाइयां नियमों का सख्ती से लागू करवाएंगी और इनके अधिकारी प्रदूषण फैलाने वाली औद्योगिक इकाइयों के औचक निरीक्षण पर भी जाएंगे। दिल्ली सरकार ने कहा कि वह यह सुनिश्चित करेगी की बदरपुर थर्मन पावल संयंत्र उडऩे वाली राख ज्यादा बड़े इलाके में नहीं फैल पाए।
बैठक में यह भी तय किया गया कि केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड राज्यों के प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों के साथ मिलकर मासिक आधार पर तथा केन्द्रीय पर्यावरण मंत्रालय तिमाही आधार पर प्रदूषण नियंत्रण उपायों की समीक्षा करेगा।