इंदिरा के बाद कास्त्रो 7वें गुट निरपेक्ष आंदोलन के सबसे प्रभावशाली शख्स : नटवर सिंह

Samachar Jagat | Sunday, 27 Nov 2016 07:43:05 AM
Castro after Indira most influential person in the 7th NAM Natwar Singh

नई दिल्ली। पूर्व केंद्रीय मंत्री व नटवर सिंह ने शनिवार को कहा कि मार्च 1983 में यहां आयोजित 7वें गुट निरपेक्ष आंदोलन (एनएएम) के दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के अलावा, क्यूबा के नेता फिदेल कास्त्रो सबसे प्रभावशाली नेता थे। नटवर सिंह ने अपने जोर बाग स्थित आवास पर कहा, इंदिरा गांधी के अलावा, वह बेहद प्रभावशाली शख्स थे। सत्र पांच दिनों तक चला था और इंदिरा गांधी के बाद वह सबसे प्रभावशाली शख्स थे। शिखर सम्मेलन में कास्त्रो की भूमिका का स्मरण करते हुए सम्मेलन के तत्कालीन महासचिव नटवर सिंह ने कहा, पहले दिन क्या हुआ कि उप महासचिव एस.के.लांबा मेरे पास दौड़ते हुए आए और कहा, सर! एक बड़ी मुसीबत आ गई है।

यासिर अराफात बेहद नाराज हैं और उन्हें लगता है कि जॉर्डन के शाह के बाद उन्हें बोलने का मौका देकर उनकी बेइज्जती की गई है। उन्होंने अपने विमान को आदेश दिया है और वह जा रहे हैं। नटवर सिंह ने कहा, मैंने इंदिरा गांधी को फोन लगाया और कहा कि मैडम कृपया आइए और कास्त्रो को अपने साथ लाइए। जिसके बाद वह आईं और कास्त्रो ने अराफात को टेलीफोन पर बात कर उन्हें विज्ञान भवन में बुलाया। और तब उन्होंने कहा कि यासिर! इंदिरा गांधी आपकी मित्र हैं? उन्होंने कहा, मित्र, वह मेरी बड़ी बहन हैं। तब कास्त्रो ने कहा, फिर आप बड़े भाई जैसा रवैया अपनाइए।

दोपहर में बैठक के लिए पहुंचिए और अपने विमान को रद्द कीजिए। छठा गुट निरपेक्ष सम्मेलन कास्त्रो के नेतृत्व में हवाना में हुआ था, जहां इंदिरा गांधी दिल्ली में होने वाले अगले शिखर सम्मेलन के लिए उनसे अध्यक्षता लेने वाली थीं। नेहरू-गांधी परिवार की तीन पीढिय़ों के साथ कास्त्रो के संबंध पर नटवर सिंह ने कहा, वह जवाहर लाल नेहरू के बड़े प्रशंसक थे। वे न्यूयॉर्क में सन् 1960 में मिले थे। वह इंदिरा गांधी को अच्छी तरह से जानते थे और उनका राजीव गांधी के प्रति भी स्नेह था। उन्होंने कहा, मैं सन् 1987 में राजीव गांधी के साथ हवाना गया था, जहां दोनों के बीच लंबी चर्चा हुई थी, जो छह घंटे तक चली थी।

क्यूबा के राष्ट्रपति के सुरक्षा प्रबंधन के बारे में उन्होंने कहा, हर रात वे अलग जगहों पर सोते थे। हमें भी नहीं पता था। वह इस बात को लेकर आश्वस्त थे कि अमेरिकी उनके पीछे लगे हुए हैं। वह अपनी टीम लेकर आए थे। हमने उन्हें मंजूरी दी थी। कास्त्रो के साथ अपनी अंतिम मुलाकात के बारे में उन्होंने कहा, हम 20 साल पहले मिले थे। मैं हवाना में था। वह मेरे मित्र थे और मैं विदेश सेवा का अधिकारी था। लेकिन, उनका निधन एक युग का अवसान है। वह भले ही एक छोटे से द्वीप से आते थे, लेकिन उनका प्रभाव विश्वव्यापी था।

 



 

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