नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि बालिकाओं को बालकों की तरह बराबरी का अधिकार है। शीर्ष अदालत ने कन्या भू्रणहत्या पर लगाम कसने के लिए नवजात शिशुओं का अखिल भारतीय स्तर पर डेटाबेस रखने सहित कई निर्देश दिये। शीर्ष अदालत ने कहा कि कन्या भ्रूणहत्या मानवीय मूल्यों को गिराती है और लैंगिक अनुपात को कम करती है जो भयंकर त्रासदी की ओर संकेत देती है जिसकी अनुमति नहीं दी जा सकती। न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि बालिका की संवैधानिक पहचान को किसी प्रकार की सामाजिक या अन्य संकल्पना के सामने गिरवी नहीं रखा जा सकता। पीठ ने लिंग पहचान रोधी कानून तथा इसके तहत नियमों का असरदार ढंग से क्रियान्वयन सुनिश्चित करने के लिए 15 निर्देश जारी किये।