मुंबई। बंबई उच्च न्यायालय ने महाराष्ट्र एसोसिएशन फॉर कल्टीवेशन ऑफ साइंस के एक कर्मचारी के तबादले पर यह कहते हुए 20 दिसंबर तक रोक लगा दी कि उसे अपने मानसिक रूप से विक्षिप्त बच्चे की देखभाल करनी होती है।
मुरलीधर गुरव केंद्र सरकार के अंतर्गत आने वाले इस स्वायत्त निकाय में चतुर्थ श्रेणी के माली थे जिन्हें पदोन्नति देकर सहायक बना दिया गया और उनका तबादला उनके गृह नगर पुणे से बारामती तालुक कर दिया गया जो वहां से 84 किलोमीटर दूर है।
वह अपने बच्चे के साथ पुणे में रहते हैं जो मानसिक रूप से विक्षिप्त है। याचिकाकर्ता जब बारामती में अपनी तैनाती की नई जगह पर नहीं पहुंचा तब उसके खिलाफ कारण बताओ नोटिस जारी कर एक विभागीय जांच शुरू की गई।
गुरव ने अपने तबादले और उसके बाद अपने खिलाफ की गयी कार्रवाई को चुनौती देने के लिए बंबई उच्च न्यायालय ने याचिका दायर की। मुख्य न्यायाधीश डॉ मंजुला चेल्लुर और न्यायमूर्ति एम एस सोनक ने गुरव की याचिका पर सुनवाई करते हुए उनके तबादले और साथ ही उनके खिलाफ शुरू की गई विभागीय जांच पर रोक लगा दी।
पीठ ने हाल में अपने आदेश में कहा, याचिकाकर्ता के दावे के समर्थन में प्रथम दृष्टया परिस्थितियों को देखते हुए हमने तबादले के आदेश के कार्यान्वयन और साथ ही प्रतिवादियों द्वारा इसके बाद की गयी कार्रवाई पर अगली सुनवाई 20 दिसंबर तक रोक ला दी।
अदालत ने रोक लगाते समय छह जून, 2014 को केंद्र सरकार के कार्मिक मंत्रालय द्वारा जारी किए गए कार्यालय ज्ञापन को ध्यान में रखा जिसके तहत किसी सरकारी कर्मचारी को तबादले से छूट दी जा सकती है अगर उसपर अपने शारीरिक रूप से अशक्त बच्चे की देखभाल करने की भी जिम्मेदारी है।