जल्द पॉल्यूशन से मुक्त होगा कोलकाता, दौड़ेगी बायो-गैस बसें...!

Samachar Jagat | Wednesday, 29 Mar 2017 10:52:18 AM
biogas buses will running shortly in kolkata

आज पॉल्यूशन पूरी दुनिया के लिए एक गंभीर समस्या बनता जा रहा है, जिससे सभी टेंशन में हैं। इसकी मुख्य वजह है पेट्रोल और डीजल से दौड़ते वाहनों से निकलने वाला अंधाधुन धुआं। अगर बात की जाए बड़े शहरों की तो यहां गाड़ियों का प्रदूषण इतना हैं कि लोग चैन से सांस भी नहीं ले सकते। 

दिल्ली, मुम्बई, चेन्नई और कोलकाता समेत देश के कई शहरों में प्रदूषण से हाल बेहाल है। इसी समस्या से निजात पाने के लिए पश्चिम बंगाल सरकार ने कोलकाता में बायो-गैस बसें चलाने की तैयारी कर ली है। इस तरह की बस सेवा शुरु करने वाला कोलकाता देश का पहला शहर होगा। अब कुछ दिनों बाद कोलकाता में बायोगैस से चलने वाली बसें सडक़ों पर दौड़ती नजर आएंगी।

कोलकाता की सडक़ों पर मार्च के अंत में बायो-गैस चलित बसें दौड़ती दिखाई देंगी। केंद्रीय नवीकरण योग्य ऊर्जा मंत्रालय के सेंट्रल सब्सिडी प्लान के तहत ये पहल की गई है। देश में इस तरह की ये पहली बस सेवा होगी। बायो-गैस चालित कुल 12 बसों का बेड़ा होगा, जो 12 रूटों पर दौड़ेगी। पहली बस उल्टाडांगा-गरिया के बीच 17.5 किलोमीटर के रूट पर दौड़ेगी। उल्टाडांगा-टॉलीगंज एवं उल्टाडांगा-सेक्टर फाइव तक की दो रूट को भी चिह्नित किया गया है।

प्रत्येक बस के निर्माण में करीब 18 लाख की लागत:
प्रत्येक बस के निर्माण में करीब 18 लाख रुपए की लागत आएगी। कूड़े-कचड़े से बनने वाले ईंधन से ये बस चलेगी। प्रत्येक बस एक किलोग्राम बायो-गैस पर 20 किलोमीटर का माइलेज देगी। एक किलोग्राम बायोगैस पर सिर्फ 30 रुपए की लागत आएगी। 

इस बस पर चढऩे वाले प्रत्येक यात्री से महज एक रुपए का न्यूनतम किराया लिया जाएगा जबकि महानगर की पारंपरिक डीजल चालित बसों का न्यूनतम किराया ही 6 रुपए है। गौरतलब है कि वैकल्पिक ऊर्जा प्रदान करने वाली फोनिक्स इंडिया की गुजरात के बड़ोदरा में बायो-गैस उत्पादन इकाइयां हैं।

पश्चिम बंगाल को नवीकरण योग्य ऊर्जा का केंद्र बनाने के उद्देश्य से फोनिक्स ने वीरभूम जिले के दुबराजपुर में पहली कम्प्रेस्ड बायो-गैस उत्पादन इकाई शुरु की है। नवीकरण योग्य ऊर्जा का उत्पादन कचरे से किया जाता है। वीरभूम के दुबराजपुर स्थित बायो गैस प्लांट से टैंकर के द्वारा गैस कोलकाता ला कर यहां पंप में रखा जाएगा। फिलहाल दस पंप लगाने की मंजूरी मिली है। पहला पंप उल्टाडांगा में बनाया जाएगा।

प्रदूषण से मिलेगी राहत:
प्रदूषण फैलने का सबसे मुख्य कारण सड़कों पर दौड़ते बेतरतीब वाहन हैं, जिनके धुएं से अब तो दुनिया के कई शहरों में दिन में भी धुंध छाने लगी है। तेजी से बढ़ते प्रदूषण पर नियंत्रण पाने के लिए अब राज्य परिहवन विभाग महानगर में बायो गैस चालित बस सड़कों पर उतारने जा रहा है। आगामी 30 मार्च से शहरवासी बायो गैस चलित बस में सफर कर सकेंगे।
  • इन देशों में चलती है बायो-गैस बसें: 
  • जर्मनी, स्वीडन के स्टॉकहोम, सिंगापुर आदि में सिटी बसें बायोगैस से चलती हैं। ताकि शहर की आबोहवा बेहतर रहे। पहले ग्रीन फ्यूल तैयार करने के लिए तकनीक उपलब्ध नहीं थी, लेकिन अब कम खर्च में प्रचुर मात्रा में बायोगैस बनाने की सुविधा होने से इसे ग्रीन फ्यूल के रूप में यूज किया जा सकता है। 


 

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