बिहार के दामाद के सिर पर होगा UP का ताज...!

Samachar Jagat | Saturday, 18 Mar 2017 10:00:04 AM
Bihar son-in-law will be crowned UP!

नई दिल्ली/लखनऊ। यूपी विधानसभा चुनाव में बीजेपी को प्रचंड बहुमत मिलने के बाद सीएम के नाम पर मुहर लगनी बाकी है। अगर खबरों की मानें तो सीएम पद की दौड़ में मनोज सिन्हा सबसे आगे है।

कौन हैं मनोज सिन्हा
-1 जुलाई 1959 को गाजीपुर के मोहनपुरा में जन्म हुआ, अपने सरल स्वभाव की वजह से भी जाने जाते हैं।
- आईआईटी(बीएचयू) से सिविल इंजीनियरिंग में एम.टेक की पढ़ाई की। आईआईटी बीएचयू से पढ़े मनोज सिन्हा की छवि काफी साफ सुथरी है। मनोज सिन्हा राजनीति में सक्रिय रहे और सिन्हा बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में छात्र संघ के अध्यक्ष थे।
 -  1989 में बीजेपी राष्ट्रीय परिषद के सदस्य बने

 - 1996, 1999, 2014 में गाजीपुर से सांसद बने
   -मोदी सरकार में रेल राज्य मंत्री बने, प्रधानमंत्री मोदी की नजर में उन्होंने वाराणसी के लिए अच्छा काम किया।
   -मनोज सिन्हा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के करीबी माने जाते हैं। पीएम मोदी और मनोज सिन्हा के बीच आरएसएस के दिनों से ही अच्छे संबंध हैं।

जीवन परिचय
आपको बता दें कि मनोज सिंहा बिहार के दामाद है। उनका ससुराल बिहार के भागलपुर में ही है। 1 मई 1977 को बड़े ही धूमधाम से उनका विवाह भलपुर निवासी नीलम सिन्हा से हुआ था। मूल रुप से यूपी के गाजीपुर जिला के मोहनपुरा गांव निवासी मनोज सिन्हा का जन्म 1 अगस्त 1959 को हुआ था। 1989 से राजनीत में आए मनोज सिन्हा ने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा। मनोज सिन्हा एक बार पूर्व में भी इस संसदीय क्षेत्र से सांसद रह चुके थे।

-नरेन्द्र मोदी, राजनाथ सिंह सहित कई वरिष्ठ बीजेपी नेताओं के चेहते  मनोज सिन्हा को काफी शौम्य और शांत स्वभाव वाला पर गंभीर राजनेता माना जाता है। मनोज सिन्हा का नाम सीएम पद के आने की सूचना के बाद से ही गाजीपुर में अभी से ही हवन और पूजन का दौर शुरु हो गया है। क

-काफी इमानदार छवि वाले मनोज सिन्हा के गांव में उनका खपरैल और कुछ ढलाई वाला मकान अब भी वैसा ही है जो दशकों पूर्व था। मनोज सिन्हा तीन भाई हैं। अन्य भाइयों में भी शादगी का ये आलम कि प्रतीत ही न हो कि वे किसी केन्द्रीय मंत्री और भावी मुख्यमंत्री के भाई हैं।

-मनोज सिन्हा को एक पुत्र और एक पुत्री है। पुत्री की शादी हो चुकी है। उनका बेटा टेलीफोन कंपनी में काम करता है। बिहार से पारिवारिक रिश्ता होने की वजह से बिहार के लोगों को भी यह उम्मीद होगी कि बिहार और यूपी के बीच समाजिक, राजनीतिक व अन्य रिश्ते प्रगाढ़ बनें।



 

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