नई दिल्ली। 5 राज्यों के विधानसभा चुनाव के परिणाम आज (शनिवार) को आने शुरू हो गए हैं। उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मणिपुर, गोवा, और पंजाब के कुल 690 विधानसभा सीटों पर हुए मतदान की गिनती सुबह 8 बजे से शुरू हो गई है। और इसके आधे घंटे के भीतर ही रुझान आने की शुरु हो जाते है। आमतौर ऐसा समझा जाता है कि 11 बजे तक नतीजे भी आने शुरू हो जाते हैं।
मतगणना की इस पूरी प्रक्रिया काफी लंबी होती है। राज्य और केंद्र के अधिकारी, पुलिसकर्मी और अन्य कर्मचारी मिलकर इस प्रक्रिया को अंजाम देते हैं। तो आइए आपको बताते हैं कि आखिर काउंटिंग को कैसे अंजाम दिया जाता है और इसे किन-किन प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता है।
EVM मशीन की ऐसे होती है सुरक्षा
मतदान के खत्म होते ही सीलबंद इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) को मतगणना केंद्र पर लाकर उन्हें स्ट्रॉन्ग रुम में रखा जाता है जिसकी सुरक्षा 24 घंटे चाक-चौबंद होती है। स्ट्रॉन्ग रूम तीन स्तर के सुरक्षा चक्र से घिरी होती है ताकि किसी तरह की कोई ऐसी गतिविधि न हो जिससे की ईवीएम को कोई नुकसान पहुंचे। आमतौर पर राज्य निर्वाचन अधिकारी द्वारा निर्धारित जिला मुख्यालय में किसी नियत जगह पर मतगणना की जाती है, जहां उस केंद्र से जुड़े सभी विधानसभा क्षेत्रों के मतों की गिनती होती है।
सुरक्षा के होते है पुख्ता इंतजाम
मतगणना के एक दिन पहले मतगणना स्थान पर सुरक्षा के पुरे इंतजाम किए जाते है। पूरी सुरक्षा चुनाव आयोग की देखरेख में होती है। चुनाव के अधिकारियों की सुरक्षा में ईवीएम मशीन को मतगणना स्थान पर पहुंचाया जाता है।
इस प्रकार शुरू होती है वोटां कीे गिनती की प्रक्रिया
* मतगणना के ठीक 1 घंटेे पहले सुबह 7 से 8 बजे तक मतगणना केंद्र के भीतर संबंधित कर्मचारियों और एजेंटों को प्रवेश दिया जाता है।
* सुबह 8 बजे से वोटों की मतगणना शुरू हो जाती है लेकिन इसमें कभी-कभी किसी कारणवस 10 से 15 मिनट की देरी भी हो जाती है।
* प्रत्येक घंटे में 4 से 4 राउंड की काउंटिंग होती है। जिस विधानसभा में सबसे कम राउंड होंगे वहां पर मतों की गिनती सबसे पहले होगी।
* सबसे पहले पोस्टल बैलेट की गिनती: निर्वाचन अधिकारी अनुसार पोस्टल बैलेट की गिनती सबसे पहले शुरू होती है। उसके बाद उसे पोस्टल बैलेट टेबल पर भेज देते हैं।
* पोस्टल बैलेट की गिनती शुरू होने के आधे घंटे बाद ही ईवीएम से गिनती शुरू होती है। सबसे पहले स्ट्रॉंग रुम से ईवीएम को काउंटिंग टेबल जिस जगह पर मतगणना होनी है, पर लाया जाता है।
* एक बार में अधिक से अधिक 14 ईवीएम की गिनती की जाती है।
* मतगणना (काउंटिंग) पर्यवेक्षक काउंटिंग एजेंट्स की मदद से वोटों के गिनती की शुरुआत करते हैं।
* मतगणना पर्यवेक्षक सबसे पहले ईवीएम पर लगे सुरक्षा की जांच करते हैं और यह सुनिश्चित करते हैं कि मशीन से किसी तरह की कोई छेड़छाड़ नहीं की गई है।
* मतगणना की पूरी प्रक्रिया से जुड़े सुपरवाइजर मतगणना एजेंट को बताते हैं कि कैसे ईवीएम बटन दबाते हैं, जिसके बाद हर उम्मीदवार के मतों की संख्या दिख जाती है।
* जैसे चुनाव अधिकारी रिजल्ट बटन को दबाता है, हर उम्मीवार को पड़े वोट की संख्या आ जाती है।
* वोटों की गिनती कर रहा कर्मचारी हर उम्मीवार को पड़े वोट की संख्या लिखकर उसे रिटर्निंग ऑफिसर को भेज देता है।
* जैसे ही एक चरण के मतगणना की प्रक्रिया पूरी होती है। मतगणना से जुड़े कर्मचारी सारी जानकारी रिटर्निंग ऑफिसर को दे देते हैं जिसके बाद पहले चरण के नतीजों का ऐलान किया जाता है।
* हर चरण की गिनती के नतीजे की जानकारी मुख्य चुनाव अधिकारी को दी जाती है. फिर यहीं से जानकारी चुनाव के सर्वर में फीड की जाती है।
* प्रत्येक राउंड के बाद ईवीएम डाटा और शीट में भरे गए डाटा का मिलान किया जाता है।
* मिलान के बाद इसे रिटर्निंग ऑफिसर और प्रत्याशियों के एजेंटों को भी नोट कराया जाता है।
* इसके अलावा मतगणना स्थल पर लगे बोर्ड पर प्रत्येक राउंड के बाद वोटों की गिनती चस्पा की जाती है।
* वोटों के गिनती की यह प्रक्रिया चलती रहती है जब तक मतगणना पूरी नहीं हो जाती।
* चुनाव आयोग ने कहा कि शाम 5 बजे तक मतगणना पूरी कर ली जाएगी यानी शाम पांच बजे तक सारे नतीजे आ जाएंगे।
इनकी निगरानी में होती है गिनती-
सरकारी विभागों में कार्यरत केंद्रीय और राज्य सरकार के कर्मचारी वोटों की गिनती करते हैं। मतगणना से पूर्व इन कर्मचारियों को एक सप्ताह पहले प्रशिक्षण के लिए मतगणना केंद्र भेजा जाता है।
इसके बाद सभी कर्मचारी संबंधित विधानसभा क्षेत्र में 24 घंटे के लिए भेज दिए जाते हैं। सबसे आखिरी में इन कर्मचारियों को सुबह पांच से 6 बजे तक मतगणना टेबल पर बैठना होता है। हर टेबल पर मतगणना पर्यवेक्षक, सहायक होते हैं और बाहर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम होते है।