नई दिल्ली। सार्वजनिक क्षेत्र के एक बैंक के एक पूर्व वरिष्ठ अधिकारी को बैंक से धोखाधड़ी के वास्ते षड्यंत्र करने और उसे 5.5 करोड़ रूपये से अधिक का नुकसान पहुंचाने के जुर्म में तीन वर्ष सश्रम कारावास की सजा सुनायी गई है। दिल्ली की एक अदालत ने साथ ही यह भी कहा कि उक्त पूर्व अधिकारी ने एक लोकसेवक के तौर पर अपने पद का दुरूपयोग किया।
विशेष न्यायाधीश वृंदा कुमारी ने पंजाब एवं सिंध बैंक की दक्षिण दिल्ली स्थित शाखा के पूर्व मुख्य प्रबंधक 67 वर्षीय के. एस. चड्ढा को यह सजा सुनायी और आपराधिक षड्यंत्र, धोखाधड़ी एवं भ्रष्टाचार के अपराधों के लिए 55 हजार रूपये का जुर्माना भी लगाया। अदालत ने साथ ही आरोपी कंपनी कार्डा इंडिया लिमिटेड के निदेशकों संजीव अरोड़ा और विक्रम अरोड़ा को चार वर्ष सश्रम कारावास की सजा भी सुनायी जिनसे मिलकर चड्ढ़ा ने बैंक से धोखाधड़ी के लिए षड्यंत्र रचा था। अदालत ने कहा कि ये व्यक्ति षड्यंत्र में मुख्य थे।
अदालत ने कहा, ‘‘लोकसेवक के तौर पर जनता के पैसे के लेनदेन के दौरान यह उसका चड्ढा कर्तव्य था कि धनराशि के लेनदेन में वैधता सुनिश्चित करें। इसके साथ ही यह उसका प्रधान कर्तव्य था कि जनता के पैसे की रक्षा में करने में सतर्कता बरता। किसी भी लोकसेवक से उच्च मानक के व्यवहार की उम्मीद की जाती है।’’ निदेशकों की भूमिका पर अदालत ने कहा, ‘‘दोषी दो और तीन संजीव और विक्रम पंजाब एवं सिंध बैंक, कैलाश कालोनी शाखा से धोखाधड़ी करने और धनराशि का गबन करने में मुख्य थे। बैंक से की गई धोखाधड़ी के वे असली लाभार्थी थे।’’
वर्ष 2000 में सीबीआई की ओर से दर्ज मामले के अनुसार पंजाब एवं सिंध बैंक की यहां कैलाश कालोनी स्थित शाखा के मुख्य प्रबंधक के तौर पर काम करते हुए चड्ढ़ा ने 1996...1998 के बीच कार्डा इंडिया लिमिटेड के निदेशकों के साथ मिलकर कंपनी के लिए रिण सीमा मंजूर करने के मामले में कथित तौर पर एक आपराधिक षड्यंत्र रचा। -(एजेंसी)