नई दिल्ली। विदेश मंत्रालय ने आज कहा कि एक कानूनी संस्था के तौर पर अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए) को अस्तित्व में लाने के लिए इससे संबंधित समझौते पर 15 और देशों के हस्ताक्षर की जरूरत है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने साप्ताहिक प्रेस ब्रीङ्क्षफग में समझौते पर हस्ताक्षर को सराहनीय उपलब्धि बताते हुए कहा कि अब तक 19 देशों ने इस पर हस्ताक्षर कर दिये हैं और आने वाले सप्ताहों में कई नये देशों के इस पर हस्ताक्षर करने की संभावना है।
उन्होंने बताया कि कुछ आंतरिक औपचारिकताएं पूरी करने के बाद फ्रांस और अमेरिका के भी इस समझौते पर हस्ताक्षर करने की संभावना है। आईएसए के मसौदे से संबंधित समझौते पर हस्ताक्षर का कार्यक्रम मोरक्को के मराकेश में 15 नवंबर को जलवायु परिवर्तन पर सभी पक्षों के 22वें सम्मेलन से इतर हुआ था।
श्री स्वरूप ने बताया कि इस समझौते पर 15 और देशों के हस्ताक्षर के बाद आईएसए एक कानूनी संस्था के रूप में अस्तित्व में आ जाएगा।
उन्होंने बताया कि आईएसए की एक सभा होगी जिसकी प्रतिवर्ष मंत्रिस्तरीय बैठक होगी। इसके अलावा एक सचिवालय भी होगा जिसके प्रमुख महानिदेशक होंगे। फिलहाल आईएसए का अंतरिम सचिवालय एमएनआरई द्वारा संचालित किया जा रहा है।
आईएसए भारत सरकार की नयी पहल है जिसकी घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गत वर्ष नवंबर में जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र मसौदा सभा के तहत सभी पक्षों के 21वें सम्मेलन में की थी। यह संस्था कर्क रेखा और मकर रेखा के बीच पूर्ण अथवा आंशिक रूप से स्थित 121 सौर संसाधन संपन्न देशों का एक गठबंधन होगा।