पोर्न फिल्म एक ऐसा नाम है जिससे हर कोई परिचित होगा। ये शब्द एक ऐसा शब्द है जो पूरी दुनिया में जाना जाता है। सेक्स को लेकर हमेशा मानव मन में उत्सुकता भर जाती है। वैसे तो भारत में पोर्न वर्जित है लेकिन फिर भी भारत के अधिकांश शहरों में इसे देखनें का चौकानें वाला आकंडा सामने आया है।
बात करें उस दौर की जब फिल्म बनाने का दौर चला और वीडियो कैमरा जैसे प्रभावी उपकरणों के आते ही ऐसी फिल्मों को बनानें का मानव मस्तिष्क में ख्याल कौंधा। कामुक दृश्य वाली इन फिल्मों की धीरे धीरे डिमांड बढ़नें लगी। और अलग अलग देशों में इसे व्यस्क, पोर्न या ब्लू फिल्में कहा जाने लगा।
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भारत जैसे देश में भी पोर्न को ब्लू फिल्म के नाम से जाना जाता है। लेकिन शायद ही कुछ लोगों को इस बारे में पता होगा कि इसे ब्लू फिल्म क्यों कहां जाता है। तो चलिए आपको बताते है इसके पिछे की हिस्ट्री के बारे में। जिसमें कुछ चौकानें वाले तथ्यों से भी कराएगें रुबरु।
कहा जाता है कि यह शब्द ग्रेट ब्रिटेन से आया है जहां पर ब्लू शब्द का उपयोग कामुक रुचि के कार्यों को दर्शानें के लिए काम में लिया जाता है। अश्लील कार्यों को भी इस श्रेणी में रखा गया है।
भारत में भी यह शब्द ग्रेट ब्रिटेन की देन कहा जा सकता है। आपको बता दें कि भारत में ब्लू फिल्में अवैध रुप से बनाई जाती है। पहले के दिनों में वीडियो स्टोर वीसीआर की कैसेट्स को फिल्म के प्रकार के अनुसार पैक करते थे। पोर्न और अडल्ट फिल्मों को नीले रंग के पॉलीथीन बैग में दिया जाता था। जबकि सामान्य फिल्मों के लिए सफेद रंग के बैग का उपयोग किया जाता था।
वहीं जब किसी थियेटर में पोर्न फिल्म या ट्रिपल एक्स मूवी लगती थी तो लोगो को इन फिल्मों की तरफ आकर्षित करनें के लिए उसके पोस्टर के बैकग्राउंड का रंग नीला रखा जाता था।
80 के दशक में वीसीआर के प्रचलन के बाद ब्लू फिल्मों के वितरण में गजब की तेजी आई। वहीं बात करें 90 के दशक की तो इंटरनेट की सौगात के बाद मानों पोर्न की बाढ़ सी आ गई।
दूसरी तरफ पोर्न इंडस्ट्री की पैठ जमाने से पहले इन फिल्मों का बजट बहुत कम था। डायरेक्टर अपनी ब्लैक एंड व्हाइट रील को सस्ते तरीके से कलर रील में बदलता था। इससे फिल्म के प्रिंट पर नीले रंग की आभा आ जाती थी। ऐसा माना जाता है कि यही कारण है कि पोर्न मूवी को ब्लू मूवी कहा जाने लगा।