लहसुन हर प्रकार के भोजन में प्रयोग किया जाता है। आप सोच भी नहीं सकते कि लहसुन की एक कली हमारे अंदर पैदा होने वाले अनेको रोगों का नाश कर सकती है। यह कई बीमारियों की रोकथाम तथा उपचार में प्रभावी है।
जब आप कुछ भी खाने या पीने से पहले लहसुन खाते हैं तो आपकी ताकत बढ़ती है, तथा यह एक महत्वपूर्ण प्राकृतिक एंटीबायोटिक की तरह कार्य करता है।
सुबह खाली पेट लहसुन खाने से यह अधिक प्रभावकारी क्यों होता है? इससे बैक्टीरिया ओवरएक्सपोज्ड हो जाते हैं तथा लहसुन की शक्ति से वे अपनी रक्षा नहीं कर पाते। इससे होने वाले स्वास्थ्य लाभों की सूची कभी खत्म न होने वाली है।
लहसुन बवासीर, कब्$ज और कान दर्द के उपचार में भी सहायक है। यदि आप बवासीर और कब्$ज के उपचार में इसका प्रयोग करना चाहते हैं तो कुछ पानी उबालें तथा इसमें अच्छी मात्रा में लहसुन डालें।
हाई बीपी से बचाए - कई लोगों का मानना है कि लहसुन खाने से हाइपरटेंशन के लक्षणों से आराम मिलता है। यह न केवल रक्त के प्रवाह को नियमित करता है बल्कि यह हृदय से संबंधित समस्याओं को भी दूर करता है तथा लीवर और मूत्राशय को भी सुचारू रूप से काम करने में सहायक होता है।
डायरिया दूर करे - पेट से संबंधित समस्याओं जैसे डायरिया आदि के उपचार में भी लहसुन प्रभावकारी होता है। कुछ लोग तो यह दावा भी करते हैं कि लहसुन तंत्रिकाओं से संबंधित बीमारियों के उपचार में बहुत प्रभावकारी होता है, परंतु केवल तभी जब इसे खाली पेट खाया जाए।
भूख बढ़ाए - यह पाचन प्रक्रिया को उत्तेजित करता है तथा भूख भी बढ़ाता है। लहसुन आपके तनाव को भी कम करने में सहायक होता है। जब भी आपको घबराहट होती है तो पेट में एसिड बनता है। लहसुन इस एसिड को बनने से रोकता है।
वैकल्पिक उपचार - जब डिटॉक्सीफिकेशन की बात आती है तो वैकल्पिक उपचार के रूप में लहसुन बहुत प्रभावी होता है। लहसुन इतना अधिक शक्तिशाली है कि यह शरीर को परजीवियों और कीड़ों से बचाता है, विभिन्न बीमारियों जैसे डाइबिटी$ज, ट्युफ्स, डिप्रेशन तथा कुछ प्रकार के कैंसर की रोकथाम में सहायक सहायक होता है।
सावधानी - यदि आपको लहसुन से किसी प्रकार की एलर्जी है तो दो महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखें। कभी भी इसे कच्चा न खाएं तथा फिर भी यदि आपको त्वचा से संबंधित कोई समस्या आती है, बुखार आता है या सिरदर्द होता है तो इसका सेवन करना छोड़ दें।
श्वसन तंत्र में मजबूती लाए - लहसुन श्वसन तंत्र के लिए बहुत लाभदायक होता है: यह ट्यूबरक्लोसिस (तपेदिक), अस्थमा, निमोनिया, जुकाम, ब्रोंकाइटिस, पुरानी सर्दी, फेफड़ों में जमाव और क$फ आदि रोकथाम तथा उपचार में बहुत प्रभावशाली होता है।
ट्यूबरक्लोसिस में लाभकारी - ट्यूबरक्लोसिस (तपेदिक) में लहसुन पर आधारित इस उपचार को अपनाएँ। एक दिन में लहसुन की एक पूरी गाँठ खाएं। इसे कुछ भागों में बाँट लें तथा आपको जिस प्रकार भी पसंद हो इसे खाएं। यदि आप इसे कच्चा या ओवन में हल्का सा भूनकर खायेंगे तो अधिक अच्छे परिणाम मिलेंगे।
फेफड़े की बीमारी के लिये - यदि आपको ब्रोंकाइनल बीमारी से संबंधित किसी उपचार की आवश्यकता है तो यह अर्क बनायें। 7 औंस / 200 ग्राम लहसुन, 24 औंस / 700 ग्राम ब्राउन शुगर और 33 औंस/ 1लीटर पानी। पानी को लहसुन के साथ उबालें तथा फिर शक्कर मिलाएं। दिन में तीन चम्मच इसका सेवन करें।