बच्चे के विकास में पिता की अह्म भूमिका होती है - पिता उसे भाषा का ज्ञान देता है जब वह अपने दोस्तों के बीच बातचीत करना शुरू करता है। हाल ही में हुए एक अध्ययन में यह स्पष्ट हुआ है कि बच्चा, अपने पिता से भाषा के ज्ञान और कौशल को सीखता है।
दो एकेडमिक जर्नल अरली चाइल्डहुड रिसर्च क्वाटरली और इंफेंट एंड चाइल्ड डेवलेपमेंट में इस अध्ययन से सम्बन्धित निष्कर्ष को प्रकाशित किया गया है कि बच्चे के विकास में पिता की भूमिका काफी अह्म होती है और बच्चा, अधिकांश व्यवहारिक ज्ञान, अपने पिता से ही सीखता है। इस अध्ययन में यह भी स्पष्ट किया गया है कि बच्चे के बाल्यकाल में सारे कामों को इस प्रकार व्यवस्थित किया जाना चाहिए कि उसे घर पर मां और पिता का पूरा प्रेम मिलें।
अध्ययन में यह पाया गया कि पिता अगर बच्चे की परवरिश में तनाव महसूस करता है तो इसका प्रत्यक्ष प्रभाव, बच्चे की सोच और उसकी भाषा के विकास पर भी पड़ता है, खासकर जब बच्चा दो-तीन साल का होता है। बेटियां पर पिता की भाषा का प्रभाव कम होता है जबकि बेटों पर पिता की भाषा का प्रभाव काफी ज्यादा होता है।
बच्चा, अपने बचपन में पिता के कहे शब्दों को लम्बे समय तक या यूं कहें तो जीवन भर याद रखता है और कई बार उसे ही अपना लेता है। वैसे कई अध्ययन में कहा गया कि बच्चों पर पिता का प्रभाव मां की अपेक्षा कम ही होता है लेकिन इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि बच्चों पर पिता का प्रभाव प्रत्यक्ष न पडक़र अप्रत्यक्ष काफी ज्यादा रहता है।
इस अध्ययन को मिशगिेन स्टेट यूनिवॢसटी के एसोसिएट प्रो$फेसर, क्लेयर वाल्ट्टोन के द्वारा किया गया, जिसमें 730 परिवारों के डेटा को एकत्रित किया गया और उस आधार पर इस निष्कर्ष को निकाला गया।
पिता के मानसिक स्वास्थ्य का असर भी बच्चे पर पड़ता है और उसे आत्म नियंत्रण और सहयोग में भी मदद मिलती है।