मोटापे में अप्रत्याशित वृद्धि से गर्भधारण में दिक्कतों के अलावा प्रसव भी ज़्यादा जोखिम भरा होता जा रहा है। मोटापे का मां और बच्चे, दोनों पर प्रभाव पड़ता है। एक नए शोध में यह बात सामने आई है। शोध के निष्कर्षों से पता चलता है कि मोटापा प्रजनन क्षमता में कमी से जुड़ा हुआ है और मां में मोटापे की वजह से गर्भधारण में दिक्कतें आ रही हैं। इससे गर्भावस्था के नतीजों पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। इन परिणामों में गर्भावधि मधुमेह, प्री-इक्लैप्सिया, समय से पहले जन्म, सीजेरियन सेक्शन से जन्म, संक्रमण और प्रसव बाद रक्त स्राव की समस्या शामिल हैं।
मोटापे की महामारी दुनियाभर के अस्पतालों और प्रसव कक्षों में ज्यादा जोखिम वाले गर्भधारण मामलों के चिंताजनक स्थिति के रूप में सामने आ रही है।अमेरिकी के ओहियो स्थित केस वेस्टर्न रिजर्व विश्वविद्यालय में प्रोफेसर पैट्रिक एम. कैटालानो ने कहा कि “ इसका प्रभाव मां और बच्चे पर पड़ सकता है”। इसके अलावा, उच्च मातृ मोटापा दर, बच्चों में कई तरह की स्वास्थ्य समस्या जैसे जन्मजात विसंगतियां, नवजात में वसा की मात्रा और बचपन में मोटापे के ज़्यादा जोखिम को उजागर कर रहा है। कैटालानो ने कहा कि “गर्भावस्था में मोटापे का कुप्रभाव गर्भावस्था से पहले से शुरू होकर, उस दौरान और बाद तक होता है”। उन्होंने कहा कि हालांकि गर्भावस्था में मोटापे के प्रबंधन की कोई मानक दिशा निर्देश नहीं है।
शोध का निष्कर्ष पत्रिका ‘द लैंसेट डायबिटीज एंड इंडोक्राइनोलॉजी’ में प्रकाशित हुआ है।अमेरिकन कॉलेज ऑफ ऑब्सटट्रिशन एंड गाइनोकॉलाजिस्ट के सिफारिश के अनुसार सभी गर्भवती महिलाओं को एक संतुलित आहार लेना चाहिए और गर्भावस्था के दौरान हर रोज कम से कम आधे घंटे का मध्यम शारीरिक गतिविधि करनी चाहिए।