याददाश्त हो रही है कमजोर

Samachar Jagat | Monday, 26 Dec 2016 10:48:49 AM
Memory is weak

तकनीक ने कुछ भी याद रखने की जरूरत को कम कर दिया है, पर मस्तिष्क को यह आराम भारी पड़ रहा है। उस पर जीवनशैली से जुड़ा तनाव, असमय दिमाग की याददाश्त को कमजोर बना रहे हैं। कई शोध हैं, जो नियमित व्यायाम से लेकर विटामिन बी-ई और ‘के‘ को दिमागी विकास के लिए जरूरी मानते हैं।

 डॉ. पी. के. सेठी कहते हैं, ‘अचानक लग रहा है कि चीजें अधिक भूलने लगे हैं तो जीवनशैली में आए बदलाव पर गौर करें और डॉक्टर से मिलें। वह थाइरॉएड टेस्ट कराने की सलाह दे सकते हैं। यह भी जानकारी मिलेगी कि डिमेंशिया या अल्जाइमर्स के लक्षण तो नहीं पनप रहे।’ विटामिन बी-1 और बी-12 की कमी हो तो उसे पूरा करें। न्यूरोलॉजिस्ट और साइकोलॉजिस्ट भी ऐसी सुविधाएं दे रहे हैं, जहंा भावनाओं पर काबू पाना और व्यर्थ की स्मृतियों से छुट्टी पाना सिखाया जाता है। इससे तनाव में कमी आती है। याददाश्त बढ़ती है।

एक बार में कई काम हाथ में लेने यानी मल्टी-र्टांस्कग से बचें। इससे एकाग्रता भंग होगी और कुछ न कुछ भूल हो जाएगी। स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में हुए अध्ययन के अनुसार मल्टी टास्किंग से कार्यकुशलता ही नहीं घटती, मस्तिष्क पर भी असर पड़ता है। शोध के अनुसार ऐसे लोगों की एकाग्रता में कमी आती है, साथ ही एक समय में एक साथ कई काम करने से सूचनाएं याद करने में समस्या होती है।

नींद के साथ समझौता न करें। डॉक्टर अकसर नींद पूरी न होने को स्मरणशक्ति के लोप होने की मुख्य वजह बताते हैं। किशोर उम्र वालों के लिए आठ से नौ घंटे और वयस्कों के लिए सात से आठ घंटे सोना जरूरी है। शोध बताते हैं कि 7 घंटे के करीब नियमित सोना याददाश्त को कमजोर होने से रोकता है।

हर काम संगठित और अनुशासित ढंग से करने की आदत डाल लें। टू-डू लिस्ट और नोट्स बनाएं, हर चीज को रखने का स्थान निर्धारित करें और टाइम टेबल बना कर काम को आगे बढ़ाएं।

तनाव से तौबा करें। हर काम में दूसरों का सहयोग लेने में न हिचकें। सुबह की सैर, प्राणायाम, ध्यान और गहरे श्वास लेने व छोडऩे का अभ्यास तनाव को पास फटकने नहीं देता। खास कर गहरी सांस लेना किसी भी हालत में तनाव से बचाता है। लिफ्ट की बजाय सीढिय़ों से चढ़ें, स्र्विंमग करें, साइकिल चलाएं, एरोबिक्स करें, सुपर ब्रेन योगा को आजमाएं। इससे दिमाग को ऑक्सीजन मिलेगी और नई स्फूर्ति आएगी।

दिमागी कसरत खूब करें। सोचें, सवाल करें, पढ़ें, लिखें, पहेली बूझें, शतरंज खेलें, नई हॉबी विकसित करें, अतीत में लिखे-पढ़े को याद करने की कोशिश करें। दिमाग को सुकून देने के लिए गाएं, गुनगुनाएं, पेंट करें, संगीत सुनें, घूमने जाएं। ये सब भी दिमाग के टॉनिक का काम करते हैं। दिमाग का 85' हिस्सा तरल होता है, जिसके सूखने से याददाश्त भी प्रभावित होती है। पानी पीते रहें। पानी पीना शारीरिक और मानसिक सेहत, दोनों के लिए अच्छा है।

हर समय गैजेट्स पर अपनी निर्भरता को कम करें। ये काम का जरिया हैं, जिंदगी नहीं। हर समय तकनीकी उपकरणों से जुड़े रहना समय-समय पर दिमाग को भी ‘हैंग’ कर देता है।
थोड़े-थोड़े फासले पर कुछ न कुछ जरूर खाएं। कम खायें। पौष्टिक और प्राकृतिक चीजें खाएं, तला-भुना और फास्ट फूड नहीं। फल, दही, अंकुरित चना, बादाम, अखरोट, मूंगफली, अंडा जैसे चीजें दिमाग को चुस्त बनाती हैं। नया पढऩे और सीखने की कोशिश करते रहें। दिमागी कसरत कराने वाली पहेलियां, क्विज, रीजभनग के सवाल आदि हल करते रहें। नई भाषा या संगीत सीखना भी दिमाग के कई हिस्सों को सक्रिय करता है। ऐसा करना याददाश्त को कम होने से रोकता है। 



 

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