जीवन मिला है, खुश रहने के लिए। यहां बीतते एक-एक पल का मजा लेना है, न जाने कौन सा पल आखिरी हो जाए। खुशी को नहीं टालें कि कल जब मन मुताबिक कुछ होगा, तब खुश हो जाऊंगा। कल पर टालने के कारण हम आज खुश नहीं रह पाते।
असलियत में खुशी हमारा स्वभाव है, यह खुशी हम कहीं बाहर से नहीं लाते, बल्कि हमारे भीतर ही खुशी की लहर हमेशा दौड़ती रहती है। छोटे-छोटे दुखों और समस्याओं को हम इतना बड़ा बना देते हैं, जिससे हमारी खुशी कहीं खो जाती है। हम चाहने लगते हैं कि दूसरे मुझे खुशी दें। पति चाहता है कि पत्नी उसे खुशी दे। पत्नी भी पति से खुशी चाहती है।
हम सभी संबंधों में खुशी के मोहताज हो जाते हैं। एक दुखी कभी दूसरे दुखी को खुश नहीं कर सकता है। जैसे एक भूखा दूसरे भूखे का पेट नहीं भर सकता। इसलिए दूसरों से खुशी न चाहो, बल्कि यह पक्का करो कि मैं हमेशा खुश रहूंगा और दूसरों को भी खुश करूंगा। असलियत में जो आपको दूसरों से चाहिए, उसको देना शुरू कर दो।
अपने घर को खुशी का केंद्र बना दो। जहां घर के सब सदस्य एक दूसरे को खुश करने के भाव से व्यवहार करें। हम अक्सर घर में ही सबसे ज्यादा उलझे रहते हैं। छोटी सी परेशानी वाली बात को भी बड़ा बनाकर पूरे घर की खुशी को हिला देते हैं। यदि हम खुश रहेंगे तो छोटी-मोटी परेशानी का असर आपके ऊपर नहीं होगा। जब हम चीजों को बड़ा और अपने को छोटा समझने लगते हैं तब उन चीजों के हिलने से हम हिल जाते हैं।
गम में रहकर की खुशबू कहीं खो जाती है। इसलिए खुशी को बहुमूल्य मानो और बाकी सभी चीजों को उसके सामने सस्ता। दिनभर अभी में रहकर सब कार्यों का आनंद लेते रहो। साथ ही संतोष भाव को बढ़ाते जाओ, क्योंकि संतोष से बड़ा कोई और सुख नहीं है।
सुबह जब उठो तब मन से बोलो कि तेरे पास दो ही विकल्प हैं कि तू आज दिनभर खुश रहना चाहता है या दुखी। साथ में इतना भी मन से कह देना कि भले तू दुखी रहे, लेकिन मैं आज खुश ही रहूंगा। आपके जीवन का न$जरिया ही बदल जाएगा।