ताली दुनिया का सर्वोत्तम एवं सरल सहज योग है और यदि प्रतिदिन यदि नियमित रूप से ताली बजाई जाये तो कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं को सुलझाया जा सकता है। प्रतिदिन अगर नियमित रूप से 2 मिनट भी तालियां बजाई जाएं तो फिर किसी हठयोग या आसनों की जरूरत नहीं रहेगी।
हमारे देश के मंदिरों में या अन्य स्थानों पर आरती या भजन गाते समय ताली बजाने की जो प्रथा है वह प्राचीन काल के वैज्ञानिकों (scientists) ने शरीर को स्वास्थ्य (healthy body) रखने के लिए बनाई है। ताली बजाना- सिर्फ ताली (clapping) बजाकर ही किसी भी रोग से छुटाकारा पाया जा सकता है। ताली बजाने से न सिर्फ रोगों से रक्षा होती है बल्कि कई रोगों का इलाज भी हो जाता है जैसे- कि ताला खोलने के लिए चाबी (key for lock) की आवश्यकता होती है वैसे ही कई रोगों को दूर करने में यह ताली, चाबी का ही काम नहीं करती है बल्कि कई रोगों का ताला खोलने वाली होने से इसे मास्टर की भी कहा जा सकता है। हाथों से नियमित रूप से ताली बजाकर कई रोग दूर किए जा सकते हैं। स्वास्थ्य की समस्याओं को सुलझाया जा सकता है। ताली दुनिया का सर्वोत्तम एवं सरल सहज योग है और प्रतिदिन यदि नियमित रूप से 2 मिनट भी तालियां बजाएं तो फिर किसी हठयोग या आसनों की जरूरत नहीं होती है।
ध्यान लगाते समय हमारी आंखें तो बंद होती हैं लेकिन कान खुले होते हैं।कान बंद करने का कोई उपाय नहीं है अतः जरा-सी आवाज होते ही हमारा ध्यान भंग हो जाता है। लेकिन आंखें बंद कर हम तेजी से ताली बजाते हैं तो हमारे कान ताली की आवाज सुनने में व्यस्त हो जाते हैं और दूसरी आवाजों की तरफ ध्यान नहीं देते हैं। ऐसे में बाहरी आवाजों से संपर्क टूट जाने के कारण हमारा ध्यान भंग नहीं होता। धीरे-धीरे तालियां बजाने की अवधि बढ़ाकर हम ध्यान की अवधि को भी बढ़ा सकते हैं।लगातार ताली बजाने से रक्त के श्वेत कणों (white drops of blood) को शक्ति मिलती है जिसके परिणामस्वरूप (result) शरीर में रोग-प्रतिरोधक शक्ति की वृद्धि (growth in power) होती है इससे शरीर रोगों के आक्रमण से अपना बचाव कर रोगी होने से बचने की क्षमता प्राप्त कर लेता है। ध्यान के अभ्यास में भी ताली की भूमिका महत्वपूर्ण है।
ताली बजाने से शरीर का मोटापा कम (weight loss) होता है, विकार नष्ट होते हैं और वात, पित्त और कफ का संतुलन ठीक रहता है।हथेलियों में शरीर के सभी आंतरिक उत्सर्जन संस्थानों के बिंदु मौजूद होते हैं और ताली बजाने से जब इन बिंदुओं पर बार-बार दबाव पड़ता है तो सभी आंतरिक संस्थान ऊर्जा पाकर अपना काम ठीक प्रकार से करने लगते हैं जिससे शरीर स्वस्थ एवं निरोग बना रहता है।
जिस प्रकार हम किसी कपड़े को साफ (cleaning the cloth) करने अर्थात धूल झाड़ने के लिए झटकारते हैं उसी प्रकार ताली बजाने से जो झटके लगते हैं उससे हमारे शरीर की भी सफाई होती है। लेकिन हमें एक बात का ध्यान रखना होगा कि ताली बजाने के इस प्राकृतिक साधन (natural resource) का उपयोग करने का लाभ तभी मिल सकता है जब हमारी दिनचर्या में अप्राकृतिक साधनों का उपयोग कतई न हो। जब हम प्रकृति का नाश करते हैं तो जाहिर है कि प्रकृति भी हमसे बदला लेगी और हमारी प्रकृति को विकृति में बदल देगी, विकृति ही व्याधि अर्थात रोग है और विकारग्रस्त होना ही रोगी होना है।
ताली बजाने का वैज्ञानिक आधार
एक्यूप्रेशर सिद्धांत के अनुसार, मनुष्य के हाथों में पूरे शरीर के अंग व प्रत्यंग के दबाव बिंदु होते हैं, जिनको दबाने पर संबंधित अंग तक खून व ऑक्सीजन का प्रवाह पहुंचने लगता है और धीरे-धीरे वह रोग ठीक होने लगता है। यह जानकार आप सभी को बेहद ख़ुशी होगी कि इन सभी दबाव बिंदुओं को दबाने का सबसे प्रभावी व सरल सरल तरीका होता है ताली बजाना।