कृष्ण पक्ष के अंतिम दिन को अमावस्या के नाम से जाना जाता है। इस दिन के दूसरे दिन से शुक्ल पक्ष की शुरूआत होती है। धर्म-कर्म, स्नान-दान, तर्पण आदि के लिए यह दिन बहुत ही शुभ माना जाता है। वैशाख मास में पड़ने वाली अमावस्या को वैशाख अमावस्या कहा जाता है। दक्षिण भारत में अमावस्यांत पंचांग का अनुसरण करने वाले वैशाख अमावस्या को शनि जयंती के रूप में भी मनाते हैं। अमावस्या के दिन इस विधि से करें पूजा....
अमावस्या पर राशिअनुसार करें ये उपाय
पूजा-विधि :-
अमावस्या के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठना चाहिए और नित्यकर्म से निवृत होकर किसी पवित्र तीर्थ स्थल पर जाकर स्नान करना चाहिए। अगर वहां जाना संभव न हो तो घर पर नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर उससे स्थान करें।
स्नान करने के बाद सूर्य देव को अर्घ्य देकर बहते जल में तिल प्रवाहित करें। इस दिन पीपल के वृक्ष को भी जल अर्पित करना चाहिए।
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कुछ क्षेत्रों में इस दिन शनि जयंती भी मनाई जाती है इसलिए इस दिन शनिदेव की तेल, तिल और दीप आदि जलाकर पूजा करें।
शनि चालीसा का पाठ और शनि मंत्रों का जाप करें, इससे शनिदेव की कृपा आप पर बनी रहेगी।
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