गण शब्द अक्सर आपनें बड़ो या पण्डितों द्दारा सुना होगा। जो आपके मन में भी कौतूहल का विषय बना रहता है। लेकिन इस बारे में कभी ज्यादा गहराई में ज्यादा जानकारी आपको भी ज्ञात नही की गई होगी। गण का सीधा संबध हम मनुष्य और राक्षस गण से लगाते है। हर व्यक्ति अपने जन्म समय के अनुसार अलग गण में जन्मता है।
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राक्षण गण की बात करे तो हमारे चारो और के वातावरण में कई ऐसी अदृश्य शक्तियां रहती है जिन्हें देख पाना हमारे लिए मुश्किल होता है लेकिन महसूस करना बेहद आसान। राक्षण गण वाले ही इन शक्तियों को अक्सर महसूस करते है। किसी किसी को तो ये शक्तियां दिखाई भी देती है। इन नकारात्मक शक्तियों में कुछ शक्तियां नकारात्मक और कुछ सकारात्म भी होती है। राक्षण गण के लोग इन शक्तियों को तुरंत ही महसूस कर लेते है। अब आप सोच रहे होगें कि इन शक्तियों से भय नही लगता तो आपको बता दे कि इनके स्वभाव के अनुरुप इन्हें ये सब सामान्य सा लगता है।
जानिए शास्त्रों के अनुसार रतिक्रिया के लिए कौनसा समय होता है उचित
इन नक्षत्रों में पैदा होने वालों का होता है राक्षण गण
कृत्तिका
मघा
चित्रा
विशाखा
धनिष्ठा
ज्येष्ठा
अश्लेषा
शतभिषा
मूल
क्हा है राक्षस गण
राक्षस गण की कल्पना करते ही सभी के मन में विचित्र की रचनाएं सामने आ जाती है। भांति भांति की अजीबोगरीब और डरावनी कल्पना से मन भर जाता है। लेकिन अगर सच्चाई देखे तो वह ठीक इसके विपरित है। हमारे धर्मो में गण को तीन आधार दिये है जिसका उल्लेख ऊपर भी किया गया है। देव गण, मनुष्य गण और राक्षस गण।
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व्यक्ति की जन्म कुण्डली उसके गण का निर्धारण करती है। अक्सर जन्म के समय नक्षत्रो का प्रभाव देखा जाता है जिसके अनुसार व्यक्ति के गण का निर्धारण होता है। इनकी सबसे अलग पहचान होती है कि ये नकारात्मक ऊर्जा को पहले से ही भांप लेते है। यही गुण इनमे इन शक्ति को झेलने की क्षमता भी दे देता है। इसलिए इस गण वाले लोग घबराते नहीं बल्कि सामान्य रुप से सामना करते है। अपने इसी गुण के कारण ये साहसी भी होते है।
मनुष्य गण
मनुष्य गण वाले लोग समाज में बहुत ही प्रतिष्ठित और धनवान होते है।
देव गण
इस गण वाले लोग बुध्दिमान, और अच्छे ह्दय वाले होते है।
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