ज्योतिष शास्त्र के तीन स्कंध होते हैं, इन स्कंधों में ग्रह, नक्षत्रों, ज्योर्तिगणित आदि विभिन्न प्रकार की जानकारियां दी गई हैं। प्रत्येक स्कंध में अलग-अलग विधाओं का वर्णन किया गया है, हम आपको यहां तीनों स्कंधों में क्या-क्या बताया गया है इसकी जानकारी दे रहे हैं.....
प्रथम स्कंध ‘‘सिद्धान्त‘‘ :-
प्रथम स्कंध में त्रुटि से लेकर प्रलय काल तक की गणना, सौर, सावन, नक्षत्रादि, मासादि, काल मानव का प्रभेद, ग्रह संचार का विस्तार तथा गणित क्रिया की उपपति आदि द्वारा ग्रहों, नक्षत्रों, पृथ्वी की स्थिति का वर्णन किया गया है।
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स्कंध के प्रसिद्ध ग्रंथ :-
इस स्कंद के प्रमुख ग्रंथ ग्रह लाघव, मकरन्द, ज्योर्तिगणित, सूर्य सिद्धान्तादि प्रसिद्ध हैं।
द्वितीय स्कंध ‘‘संहिता‘‘ :-
द्वितीय स्कंध में गणित को छोड़कर अंतरिक्ष, ग्रह, नक्षत्र, ब्रह्माण्ड आदि की गति, स्थिति एंव समस्त लोकों में रहने वाले प्राणियों की क्रिया विशेष द्वारा समस्त लोकों का समष्टिगत फलों का वर्णन है, उसे संहिता कहते है।
स्कंध के प्रसिद्ध ग्रंथ :-
इस स्कंद के प्रमुख ग्रंथ वाराह मिहिर की वृहत् संहिता, भद्र बाहु संहिता है।
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तृतीय स्कंध ‘‘होरा‘‘ :-
होरा इस स्कंध में जातक, जातिक, मुहूर्त प्रश्नादि का विचार कर व्यष्टि परक या व्यक्तिगत फलादेश का वर्णन है।
स्कंध के प्रसिद्ध ग्रंथ :-
इस स्कंध के प्रसिद्ध ग्रंथ वृहत् जातक, वृहत् पाराशर होरशास्त्र, सारावली, जातक पारिजात, फलदीपिका, उतरकालामृत, लघुपाराशरी, जैमिनी सूत्र और प्रश्नमार्गादि प्रमुख ग्रंथ है।
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