शयनकक्ष के वास्तु का हमारी शांति और सुकून से गहरा संबंध है। शयनकक्ष ही वह जगह है जहां जाकर शांति और आराम के कुछ पल बिताए जाते हैं। वास्तु सम्मत शयनकक्ष हमारे कष्टों को दूर करता है और हमारे जीवन में प्रसन्नता लाता है। वहीं अगर शयनकक्ष में वास्तुदोष हो तो न ठीक से नींद आती है और न ही किसी काम में मन लगता है। ऐसे में शयनकक्ष के वास्तु को ठीक करना बहुत आवश्यक होता है। हम आपको बताते हैं शयनकक्ष के वास्तु को ठीक करने के कुछ आसान से टिप्स....
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अगर गृहस्वामी को अपने कार्य के सिलसिले में अक्सर टूर पर रहना पड़ता हो तो वास्तुशास्त्र के अनुसार शयनकक्ष वायव्य कोण में बनाना श्रेयस्कर होगा।
शयनकक्ष में पलंग या बेड इस तरह हो कि उस पर सोते हुए सिर पश्चिम या दक्षिण दिशा की ओर रहे। इस तरह सोने से प्रातः उठने पर मुख पूर्व अथवा उत्तर दिशा की ओर होगा। पूर्व दिशा सूर्योदय की दिशा है, यह जीवनदाता और शुभ है।
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वास्तुशास्त्र के अनुसार पलंग शयनकक्ष के द्वार के पास नहीं होना चाहिए इससे चित्त में व्याकुलता और अशांति बनी रहेगी। इसके साथ ही शयनकक्ष का द्वार एक पल्ले का होना चाहिए।
गृहस्वामी का शयनकक्ष दक्षिण-पश्चिम कोण में अथवा पश्चिम दिशा में होना चाहिए। वास्तुशास्त्र के अनुसार दक्षिण-पश्चिम अर्थात नैऋर्त्य कोण पृथ्वी तत्व अर्थात स्थिरता का प्रतीक माना जाता है।
बच्चों, अविवाहितों अथवा मेहमानों के लिए पूर्व दिशा में शयनकक्ष होना चाहिए, वास्तुशास्त्र के अनुसार इस कक्ष में नवविवाहित जोड़े को नहीं ठहरना चाहिए।
(ये सभी जानकारियां शास्त्रों और ग्रंथों में वर्णित हैं, लेकिन इन्हें अपनाने से पहले किसी विशेष पंडित या ज्योतिषी की सलाह अवश्य ले लें।)
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