कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को बैकुंठ चतुर्दशी के नाम से जाना जाता है, इस दिन भगवान शिव तथा विष्णु की पूजा की जाती है। इस दिन व्रत भी किया जाता है, बैकुंठ चतुर्दशी के दिन धूप-दीप, चन्दन तथा पुष्पों से भगवान का पूजन तथा आरती की जाती है, भगवत गीता व श्री सुक्त का पाठ किया जाता है। श्री विष्णु का ध्यान व कथा श्रवण करने से समस्त पापों का नाश होता है। विष्णु जी के मंत्र जाप तथा स्तोत्र पाठ करने से बैकुण्ठ धाम की प्राप्ति होती है। इस दिन जो भी व्यक्ति सच्चे मन से भगवान विष्णु की पूजा करता है उसे स्वर्ग की प्राप्ति होती है।
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व्रत करने के नियम
दैनिक कार्यों से निवृत होकर सारा दिन व्रत करें।
रात को भगवान विष्णु का कमल के फूलों से पूजन करें।
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इस मंत्र से करें भगवान शिव की पूजा-
विना यो हरिपूजां तु कुर्याद् रुद्रस्य चार्चनम्।
वृथा तस्य भवेत्पूजा सत्यमेतद्वचो मम।।
रात को जागरण करके कार्तिक पूर्णिमा की प्रभात को रूद्राभिषेक करके ब्राह्मणों को भोजन और क्षमता के अनुसार दक्षिणा दें, फिर परिवार सहित भोजन खाएं।
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