फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी से लेकर होलिका दहन तक होलाष्टक लगे रहते हैं। ये आठ दिनों तक रहते हैं। इन दिनों कोई भी शुभ काम संपन्न नहीं किया जाता है। इन दिनों में ग्रह प्रवेश, शादी या फिर गर्भाधान संस्कार जैसे महत्वपूर्ण काम भी नहीं किए जाते है। होलाष्टक के दौरान शुभ कार्य न होने के पीछे धार्मिक मान्यता के अलावा ज्योतिषीय मान्यता भी है।
होलाष्टक लगने के पीछे छिपी कुछ रोचक कहानियां
ज्योतिष के अनुसार माना जाता है कि अष्टमी को चंद्रमा, नवमी को सूर्य, दशमी को शनि, एकादशी को शुक्र, द्वादशी को गुरु, त्रयोदशी को बुध, चतुर्दशी को मंगल तथा पूर्णिमा को राहु उग्र रूप लिए हुए रहते हैं। इन ग्रहों के निर्बल होने से इंसान की निर्णय क्षमता क्षीण हो जाती है। जिसके कारण वह गलत निर्णय लेने लगता है।
आज से होलाष्टक शुरू, जानिए क्यों नहीं किया जाता इन दिनों में शुभ कार्य
ऐसा न हो इसी कारण आठ दिनों में उसे किसी भी शुभ काम का फैसला लेने की मनाही होती है। इससे पूर्णिमा से आठ दिन पूर्व मनुष्य का मस्तिष्क अनेक सुखद व दुःखद आशंकाओं से ग्रसित हो जाता है, जिसके परिणामस्वरूप चैत्र कृष्ण प्रतिपदा को अष्ट ग्रहों की नकारात्मक शक्ति के क्षीण होने पर सहज मनोभावों की अभिव्यक्ति रंग, गुलाल आदि द्वारा प्रदर्शित की जाती है।
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