दुनिया के सभी हीरों का राजा है कोहिनूर हीरा, प्राचीनकाल में इसे स्यमंतक मणि कहा जाता था। इस मणि को इंद्र देव ने धारण किया हुआ है, कोहिनूर हीरा ही स्कंद मणि थी इसके बारे में कोई ठोस प्रमाण तो नहीं मिले हैं। लेकिन पौराणिक मान्यताओं के अनुसार कोहिनूर हीरे को ही स्कंद मणी माना जाता है।
कृतिका नक्षत्र में जन्मे व्यक्तियों पर रहता है सूर्य का प्रभाव, इसी कारण ऐसा होता है इनका स्वभाव
कोहिनूर हीरा बहुत समय तक भारत के क्षत्रिय शासकों के पास रहा फिर इसके बाद ये मुगलों के पास चला गया और आखिर में इसे अंग्रेजों ने हांसिल कर लिया। अब यह हीरा ब्रिटेन के म्यूजियम में रखा हुआ है। माना जाता है की इस मणि को चोरी करने का आरोप भगवान श्रीकृष्ण पर भी लगा था आखिर क्यों करनी पड़ी थी भगवान श्री कृष्ण को मणि की चोरी, इसके बारे में पुराणों में एक कथा प्रचलित है, ये कथा इस प्रकार है....
एक बार भगवान श्रीकृष्ण पर मणि चोरी का आरोप लग गया था, इस आरोप को गलत सिद्ध करने के लिए उन्हें जामवंत से युद्ध करना पड़ा। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, यह मणि भगवान श्रीकृष्ण की पत्नी सत्यभामा के पिता सत्राजित के पास थी और उन्हें यह मणि भगवान सूर्य ने दी थी। सत्राजित ने यह मणि अपने देवघर में रखी थी। वहां से वह मणि पहनकर उनका भाई प्रसेनजित आखेट के लिए चला गया। जंगल में उसे और उसके घोड़े को एक सिंह ने मार दिया और मणि अपने पास रखी ली। सिंह के पास मणि देखकर जामवंत ने सिंह को मारकर मणि उससे ले ली और उस मणि को लेकर वे अपनी गुफा में चले गए, जहां उन्होंने मणि को खिलौने के रूप में अपने पुत्र को दे दिया।
मरने के तीन दिन बाद ही मिल जाता है इंसान को नया शरीर
इधर सत्राजित ने श्रीकृष्ण पर आरोप लगा दिया कि यह मणि उन्होंने चुराई है। तब श्रीकृष्ण को यह मणि हासिल करने के लिए जामवंत से युद्ध करना पड़ा। बाद में जामवंत जब युद्ध में हारने लगे तब उन्होंने अपने प्रभु श्रीराम को पुकारा और उनकी पुकार सुनकर श्रीकृष्ण को अपने रामस्वरूप में आना पड़ा। तब जामवंत ने समर्पण कर अपनी भूल स्वीकार की और उन्होंने मणि भगवान कृष्ण को दे दी और उन्होंने श्रीकृष्ण से निवेदन किया कि आप मेरी पुत्री जामवंती से विवाह करें। जामवंती-कृष्ण के संयोग से महाप्रतापी पुत्र का जन्म हुआ जिसका नाम साम्ब रखा गया।
इन ख़बरों पर भी डालें एक नजर :-
माथे की लकीरों से जानें अपनी लंबी उम्र के बारे में ....
भगवान श्री कृष्ण के दिए श्राप के कारण आज भी पृथ्वी पर भटक रहे हैं अश्वत्थामा
इस शंख की पूजा करने से चमक उठेगी आपकी किस्मत