Navratri Special : मां दुर्गा के नौ रूप और उनकी महिमा

Samachar Jagat | Tuesday, 28 Mar 2017 07:00:02 AM
Navratri Special: Nine Forms of Mother Durga and His Majesty

नवरात्र साल में मुख्यतः दो बार आते हैं, आश्विन मास में आने वाले नवरात्रों को शारदीय एवं दुर्गा नवरात्रे तथा चैत्र मास में आने वाले नवरात्रे वासंतिक, राम एवं गौरी नवरात्रे कहलाते हैं। नवरात्रि में प्रतिदिन देवी के विभिन्न रूपों का पूजन और उपाय करके माता को प्रसन्न किया जाता है। नवरात्रि में पहले दिन से लेकर अंतिम दिन तक मां के किन रूपों की पूजा की जाती है इसके बारे में हम आपको यहां बता रहे हैं.......

शैलपुत्री :-

प्रथम नवरात्रे में मां दुर्गा की शैलपुत्री के रूप में पूजा की जाती है। पर्वतराज हिमालय की पुत्री शैलपुत्री की पूजा करने से मूलाधार चक्र जागृत हो जाता है और साधकों को सभी प्रकार की सिद्धियां स्वतः ही प्राप्त हो जाती हैं।

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ब्रह्मचारिणी :-

दूसरे नवरात्र में मां के ब्रह्मचारिणी एवं तपश्चारिणी रूप को पूजा जाता है। जो साधक मां के इस रूप की पूजा करते हैं उन्हें तप, त्याग, वैराग्य, संयम और सदाचार की प्राप्ति होती है और जीवन में वे जिस बात का संकल्प कर लेते हैं उसे पूरा करके ही रहते हैं।

चन्द्रघंटा :-

मां के इस रूप में मस्तक पर घंटे के आकार का आधा चन्द्र बना होने के कारण इनका नाम चन्द्रघंटा पड़ा तथा तीसरे नवरात्रे में मां के इसी रूप की पूजा की जाती है तथा मां की कृपा से साधक को संसार के सभी कष्टों से छुटकारा मिल जाता है।

कूष्मांडा :-

अपने उदर से ब्रह्मंड को उत्पन्न करने वाली मां कूष्मांडा की पूजा चौथे नवरात्रे में करने का विधान है। इनकी आराधना करने वाले भक्तों के सभी प्रकार के रोग एवं कष्ट मिट जाते हैं तथा साधक को मां की भक्ति के साथ ही आयु, यश और बल की प्राप्ति भी सहज ही हो जाती है।

स्कंदमाता :-

पंचम नवरात्रे में आदिशक्ति मां दुर्गा की स्कंदमाता के रूप में पूजा होती है। कुमार कार्तिकेय की माता होने के कारण इनका नाम स्कंदमाता पड़ा। इनकी पूजा करने वाले साधक संसार के सभी सुखों को भोगते हुए अंत में मोक्ष पद को प्राप्त होते हैं। उनके जीवन में किसी भी प्रकार की वस्तु का कोई अभाव कभी नहीं रहता।

कात्यायनी :-

महर्षि कात्यायन की तपस्या से प्रसन्न होकर आदिशक्ति मां दुर्गा ने उनके घर पुत्री के रूप में जन्म लिया और उनका कात्यायनी नाम पड़ा। छठे नवरात्रे में मां के इसी रूप की पूजा की जाती है। मां की कृपा से साधक को धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष आदि चारों फलों की जहां प्राप्ति होती है वहीं वह आलौकिक तेज से अलंकृत होकर हर प्रकार के भय, शोक एवं संतापों से मुक्त होकर खुशहाल जीवन व्यतीत करता है।

कालरात्रि :-

सभी राक्षसों के लिए कालरूप बनकर आई मां दुर्गा के इस रूप की पूजा सातवें नवरात्रे में की जाती है। मां के स्मरण मात्र से ही सभी प्रकार के भूत, पिशाच एवं भय समाप्त हो जाते हैं।

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महागौरी :-

आदिशक्ति मां दुर्गा के महागौरी रूप की पूजा आठवें नवरात्रे में की जाती है। मां ने काली रूप में आने के पश्चात घोर तपस्या की और पुनः गौर वर्ण पाया और महागौरी कहलाई। मां की कृपा से साधक के सभी कष्ट मिट जाते हैं और उसे आर्थिक लाभ भी मिलता है।

सिद्धिदात्री :-

नौंवें नवरात्रे में मां के सिद्धिदात्री रूप की पूजा एवं आराधना की जाती है, जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है मां का यह रूप साधक को सभी प्रकार की ऋद्धियां एवं सिद्धियां प्रदान करने वाला है।

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