देव उठनी एकादशी पर इस विधि से करें पूजन

Samachar Jagat | Friday, 11 Nov 2016 11:32:18 AM
method to Dev Uthani Ekadashi Puja

देवशयनी एकादशी के शयन के बाद देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु चार मास की निद्रा से जागते हैं। इस एकादशी को देवोत्थान एकादशी इसे देव उठनी और प्रबोधिनी एकादशी भी कहा जाता है। आइए जानते हैं इस दिन किस विधि से करना चाहिए पूजन....

सामग्री-

गंगा जल, शुद्ध मिट्टी, कुश, सप्तधान्य, हल्दी, कुमकुम, अक्षत, पंचरत्न, लाल वस्त्र, कपूर, पान, घी, सुपारी, रौली, दूध, दही, शहद, फल, शकर, फूल, नैवेद्य, गन्नो, हवन सामग्री, तुलसी पौधा, विष्णु प्रतिमा।

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पूजन विधि :-

तीन महीने पहले से तुलसी के पौधे को रोज जल चढ़ाएं तथा पूजा करें।

एकादशी को पंचांग से विवाह मुहूर्त निकाल मंडप तैयार करें।

चार गन्नों को क्रॉस में खड़ा कर नया पीला कपड़ा बांधकर मंडप बनाएं। हवन कुंड बनाएँ। नांदीमुख श्राद्ध कर कुश आसन पर बैठकर आचमन कर संकल्प करें-

ॐ अद्येतादि देश कालौ संकीर्त्य (आराधक नाम) अहं, गोत्रः (गोत्र) ममाऽखिल-षिविंधिपांतकशमनपूर्वाकाभीष्ट सिद्ध द्वारा श्री महाविष्णु प्रीत्यर्थ तुलसी विवाह करिष्ये। तदंगत्वेन गणेश पूजन स्वस्ति पुण्याहवाचनं ग्रहयज्ञश्य करिष्ये।

संकल्प के बाद भगवान गणेश पूजन करें, नवग्रह पूजा करें व कलश में जल भरकर पाटे पर कपड़ा बिछाकर तुलसी एवं श्रीविष्णु की प्रतिमा स्थापित कर पूजा करें-

ॐ इदं विष्णु विचक्रमेत्रेधानिदधेपदम्। समूढस्ययपा गुं पुरे।
ॐ भूर्भुवः स्वर्षिपणो इहागच्छ। तुलसी श्री सखि शुभे पापहारिणी पुण्यदे। नमस्ते नारदनुते नारायण सदा प्रिये।
ॐ भूर्भुवः स्वस्ततुलसी इहागच्छ इह तिष्ठेति।

देशकालौ संकीर्त्य मम सर्वपातक निवृतये श्रीविष्णु प्रीतये च तुलसी विवाहांगतया पुरुषसुक्तेन षोडशोपचारैर्महाविष्णु पूजनं करिष्ये।

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इन मंत्रों से सारी सामग्री चढ़ाएं। जल, दूध, दही, घी, शहद, शकर व जल से स्नान कराएं। पीले वस्त्र, लच्छा, यज्ञोपवीत चढ़ाएं।

पूजन के अंत में ‘ऊं भूत वर्तमान समस्त पाप निवृत्तय-निवृत्तय फट्’ मंत्र की 21 माला जाप कर अग्नि में शुद्ध घी की 108 आहुतियां अवश्य देनी चाहिए। इससे जीवन के सारे रोगों, कष्टों व चिंताओं से मुक्ति मिल जाती है।

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