इन्टरनेट डेस्क। आज के समय में बहुत लोग जनेऊ पहनते है। जो लोग जनेऊ पहनते है उनकी आज के युवा मजाक बनाते हैं। पुराने समय में अधिकांश लोग जनेऊ धारण करते थे। लेकिन धीरे-धीरे जनेऊ पहनने का कार्य ब्राहम्ण वर्ग तक ही सीमित रह गया। जनेऊ पहनने का ना केवल धर्म से बल्कि विज्ञान से भी जुड़ा हुआ है।
जनेऊ शरीर में खून के प्रवाह को भी कंट्रोल करने में मददगार होता है ऐसा भी देखा गया है कि अक्सर सीने में होने वाले हल्के दर्द भी कान पर जनेऊ लपेटने से ही बंद हो जाते है।
दाएं कान कान के पास से ऐसी नसे गुजरती है जिसका संबध अंडकोष और गुप्तेद्रियों से होता है। मूत्र त्याग के वक्त दाएं कान पर जनेऊ लपेटने से यह दब जाती है। जिनसे वीर्य निकलता है।
बुद्धिकौशल कान पर हर रोज जनेऊ रखने और कसने से स्मरण शक्ति बढ़ जाती है। कान पर दबाव पडऩे से दिमाग की वह नसें ऐक्टिव हो जाती है जिनका संबध स्मरण शक्ति से होता है।
अगर व्यक्ति नित्यक्रम क्रिया के दौरान इसे कान के ऊपर लपेटना होता है। ऐसा करने से कान के पास से गुजरने वाली उन नसों पर भी दबाव पड़ता है इन नसों पर दबाव पडऩे से कब्ज की शिकायत नहीं होती है पेट साफ होने पर शरीर और मन दोनों ही सेहतमंद रहते है।
कीटाणुओ से सुरक्षा जनेऊ धारण करने वाला शख्स इससे जुड़े नियमो का पालन करता है। वह मूल-मत्र त्याग करते वक्त अपना मुंह बंद रखते है। इसकी आदत पड़ जाने के बाद लोग बड़ी आसानी से गंदे स्थानो पर पाए जाने जीवाणुओ और कीटाणुओ के प्रकोप से बच जाते है।
अगर इसे एक वैज्ञानिक रुप में देखा जाए तो यह दिल के रोग और ब्लडप्रेशर से बचाव करता है। कि जनेऊ पहनने धारण करने वालो को दिल से जुड़ी बीमारियों और ब्लडप्रेशर की आशंका कम होती है।