जीवन को व्यवस्थित करने के लिए हम अंतरिक्ष का सहारा लेते हैं, ग्रह-नक्षत्रों पर आश्रित होतें हैं तो इसी परा ज्ञान को ज्योतिष विद्या कहा जाता है। ज्योतिष विधा में नक्षत्रों का महत्वपूर्ण योगदान होता है। किसी भी घटना के बारे में सही तथ्यों का पता लगाने के लिए नक्षत्रों का सहारा लिया जाता है।
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वैदिक ज्योतिष के मूलाधार में नक्षत्र ही हैं, वेद में नक्षत्रों को उडू, रिक्ष, नभ, रोचना, तथा स्त्री पर्याय भी कहा गया है। ऋग्वेद के अनुसार 01.50.2 तथा 6.67.6 में जिस लोक का कभी क्षय नहीं होता उसे नक्षत्र कहा गया है, यजुर्वेद में नक्षत्रों को चन्द्रमा की अप्सरा कहा गया है।
तैत्रीय ब्राह्मण का कथन है कि सब नक्षत्र देव ग्रह हैं, जो यह जानता है वह गृही और सुखी होता है ये रोचन है, शोभन है, तथा आकाश को अलंकृत करते हैं। चन्द्रमा को नक्षत्रों का स्वामी भी कहा गया है, नक्षत्र 27 माने गये हैं। चूंकि पक्ष 24 और नक्षत्र 27 इसलिए 27 नक्षत्रों के 24 नाम ही रखे गए थे।
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किन्तु फाल्गुनी आषाढ़ा और भाद्रप्रद तीन नक्षत्रों के दो-दो बराबर भाग करके पूर्वा एवं उत्तरा तीन नक्षत्र और बढ़ाकर 27 की संख्या कर दी गई। ज्योतिष शास्त्र में कहीं-कहीं 28 नक्षत्रों का वर्णन भी मिलता है। आइए आपको बताते हैं इन नक्षत्रों के नाम.......
1 अश्विनी
2 भरणी
3 कृत्तिका
4 रोहिणी
5 मॄगशिरा
6 आद्रा
7 पुनर्वसु
8 पुष्य
9 अश्लेशा
10 मघा
11 पूर्वाफाल्गुनी
12 उत्तराफाल्गुनी
13 हस्त
14 चित्रा
15 स्वाती
16 विशाखा
17 अनुराधा
18 ज्येष्ठा
19 मूल
20 पूर्वाषाढा
21 उत्तराषाढा
22 श्रवण
23 श्रविष्ठा
24 शतभिषा
25 पूर्वभाद्र्पद
26 उत्तरभाद्रपदा
27 रेवती
28वें नक्षत्र का नाम अभिजित है।
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