शास्त्रों के अनुसार समुद्र मंथन से पहले सभी देवता निर्धन हो गए थे, जब माता लक्ष्मी समुद्र मंथन से प्रकट हुईं तो इंद्र सहित सभी देवताओं ने माता लक्ष्मी की आराधना की। इससे प्रसन्न होकर माता लक्ष्मी ने देवराज इंद्र को वरदान दिया कि तुम्हारे द्वारा दिए गए द्वादशाक्षर मंत्र का जो व्यक्ति नियमित रूप से प्रतिदिन तीनों संध्याओं में भक्तिपूर्वक जप करेगा, वह कुबेर के समान ऐश्वर्य युक्त हो जाएगा।
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अगर आप दिन में तीन बार इस मंत्र का जाप नहीं कर सकते तो शुक्रवार के दिन इस प्रकार एक बार इस मंत्र का जाप करें, कभी भी धन की कमी नहीं होगी। आइए आपको बताते है इसके बारे में....
इस मंत्र का जाप करने के लिए शुक्रवार की रात को गुलाबी कपड़े पहने और गुलाबी आसान पर बैठ जाएं।
गुलाबी कपड़े पर श्रीयंत्र और अष्ट लक्ष्मी का चित्र स्थापित करें।
किसी भी थाली में गाय के घी के 8 दीपक जलाएं।
गुलाब की अगरबत्ती जलाएं, लाल फूलों की माला चढ़ाएं।
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माता लक्ष्मी को मावे की बर्फी का भोग लगाएं।
अष्टगंध से श्रीयंत्र और अष्ट लक्ष्मी के चित्र पर तिलक करें
कमलगट्टे हाथ में लेकर इस मंत्र का यथासंभव जाप करें।
मंत्रः ऐं ह्रीं श्रीं अष्टलक्ष्मीयै ह्रीं रीं सिद्धये मम गृहे आगच्छागच्छ नमः स्वाहा।।
जाप पूरा होने के बाद आठों दीपक घर की आठ दिशाओं में लगा दें तथा कमलगट्टे घर की तिजोरी में स्थापित करें।
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