वृंदावन। मथुरा-वृंदावन नगर निगम बनाने की अधिसूचना जारी होने के साथ ही वृंदावन को तीर्थस्थल घोषित किए जाने की मांग ने फिर से जोर पकड़ लिया है। वृंदावनवासियों ने बताया कि इसे तीर्थनगरी घोषित किए जाने की मांग बहुत पुरानी है, लेकिन इसे मथुरा के साथ प्रस्तावित संयुक्त नगर निगम में शामिल किए जाने के उत्तर प्रदेश सरकार के निर्णय के बाद अचानक इस मांग ने फिर से जोर पकड़ लिया। राज्य सरकार ने शनिवार को दोनों नगरपालिकाओं को भंग करके और उनके स्थान पर नगर निगम बनाने की अधिसूचना जारी करके नए संयुक्त नगर निकाय के गठन का मार्ग प्रशस्त कर दिया है।
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ज्ञातव्य है कि पूर्ववर्ती अखिलेश यादव सरकार ने भी मथुरा-वृंदावन नगर निगम बनाने की दिशा में पहल की थी, किन्तु वृंदावन के लोगों के विरोध के कारण उसे अपने कदम पीछे हटाने पड़े थे। इधर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार ने इस विरोध को नजर अंदाज करते हुए नगर निगम बनाने का फैसला करके साहसिक कदम उठाया है। वृंदावन के लोगों को आशंका है कि संयुक्त नगर निगम में शामिल होने से वृंदावन उपेक्षा का शिकार हो जाएगा और इसकी विशिष्ट धार्मिक पहचान जाती रहेगी। वे इसकी बजाय वृंदावन को ए श्रेणी की नगरपालिका बनाए जाने की मांग कर रहे थे।
वृंदावनवासियों को आशंका है कि संयुक्त नगर निगम में शामिल होने से वृंदावन में भी मथुरा की तरह मांस-मदिरा का क्रय-विक्रय शुरू हो जाएगा। नगर के प्रबुद्ध संत स्वामी अवशेषानंद का सुझाव है कि मांस-मदिरा तो समूचे नगर निगम में प्रतिबंध होना चाहिए। ऐसा करने से इसे विश्व का पहला नगर निगम होने का गौरव प्राप्त होगा। वर्तमान में हरिद्वार, जगन्नाथपुरी तथा द्वारका जैसे नगरपालिका वाले कुछ ही नगरों में ये पदार्थ निषिद्ध हैं, लेकिन देश-विदेश का कोई भी नगर निगम इस श्रेणी में नहीं आता। 25 वर्ष से वृंदावन में रह रहे प्रसिद्ध गीता आश्रम के प्रबंधक कपिल देव यादव ने विश्व बैंक की 97 करोड़ रुपए की वित्तीय सहायता से संचालित होने वाली श्री बांके बिहारी संपर्क मार्ग सुदृढ़ीकरण परियोजना को वृंदावन की कायापलट करने वाली बताया।
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उन्होंने इस परियोजना का विरोध करने वालों को चेताया कि वे अपने निहित स्वार्थ के लिए इस धर्मनगरी की छवि में चार चांद लगाने वाली इस परियोजना पर अड़ंगा न लगाएं। श्री बांके बिहारी जी की प्रातःकालीन आरती में नियमित रूप से शामिल होने वाले महेश अरोड़ा (66), पंडित डोरीलाल उपाध्याय (73), डॉ. रामस्वरूप उपाध्याय (63) और पंडित ओमप्रकाश द्विवेदी (82) ने वृंदावन को तीर्थस्थल घोषित करने में विलंब नहीं किए जाने की मांग की। उन्होंने कहा कि तीर्थस्थल घोषित किए जाने की वर्षों पुरानी मांग अब तुरन्त स्वीकार कर ली जानी चाहिए। -एजेंसी
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