सूर्य षष्ठी व्रत को बड़ा ही कठिन और सभी व्रतों में सबसे उत्तम माना गया है। चार दिनों तक चलने वाले इस पर्व पर दूसरे दिन व्रती चावल और गुड़ की खीर बनाकर छठी मैया को प्रसाद अर्पित करते हैं।
व्रती इसी प्रसाद को खाते हैं और यही प्रसाद लोगों में बांटा भी जाता है। इस व्रत में चावल और गुड़ की खीर बनाकर खाई जाती है ये परंपरा सदियों से चली आ रही है। आपको बता दें कि इस खीर को बनाने के पीछे धार्मिक और वैज्ञानिक कारण छिपे हुए हैं। आइए आपको बताते हैं इसके बारे में ....
चार दिनों तक इस विधि से करें छठ पूजा
धार्मिक मान्यता :-
शास्त्रों के अनुसार, सूर्य की कृपा से ही फसल उत्पन्न होती है, इसलिए सूर्य को सबसे पहले नए फसलों का प्रसाद अर्पण करना चाहिए।
छठ पर्व के समय चावल और गन्ना तैयार होकर घर आता है इसलिए गन्ने से तैयार गुड़ और नए धान के चावल का प्रसाद सूर्य देव को भेंट किया जाता है।
छठ व्रत कथा
गुड़ को चीनी से शुद्ध माना गया है। यही कारण है कि छठ पर्व में चीनी की बजाय गुड़ की खीर बनाई जाती है।
वैज्ञानिक मान्यता :-
वैज्ञानिक कारण यह है कि गुड़ की तासीर गर्म होती है और यह सुपाच्य होता है। इसलिए गुड़ का उपयोग औषधि बनाने में भी किया जाता है। गुड़ के सेवन से व्रती को अंदर से ऊर्जा और उष्मा प्राप्त होती है जिससे दो दिनों के व्रत को पूरा करने का बल मिलता है।
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