चैत्र शुक्ल पक्ष के नवरात्रों के साथ ही हिन्दू नवसंवत्सर शुरू होता है इसलिए इस नवरात्र को विशेष महत्व दिया जाता है। नवरात्र के नौ दिन देवी दुर्गा के विभिन्न रूपों की पूजा करने का विधान है। इस बार नवरात्र 28 मार्च से प्रारम्भ होकर 5 अप्रैल तक रहेंगे। नवरात्र के नौ दिन प्रातः और संध्या के समय मां दुर्गा की पूजा और आरती करनी चाहिए। जो जातक पूरे नौ दिन व्रत नहीं रह सकते है, वे प्रतिपदा और अष्टमी के दिन यानि उठते-चढ़ते नवरात्र का व्रत कर सकते हैं। नवरात्र के अंतिम दिन कन्या पूजन कर मां भगवती को प्रसन्न करना चाहिए।
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कलश स्थापना मुहूर्त :-
धर्मशास्त्रों के अनुसार कलश को सुख-समृद्धि, वैभव और मंगल कामनाओं का प्रतीक माना गया है। कलश के मुख में विष्णुजी का निवास, कंठ में रुद्र तथा मूल में ब्रह्मा स्थित हैं और कलश के मध्य में दैवीय मातृशक्तियां निवास करती हैं। नवरात्र के प्रथम दिन कलश स्थापना की जाती है, इस बार कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त 28 मार्च दिन मंगलवार को सुबह 08 बजकर 26 मिनट से लेकर 10 बजकर 24 मिनट तक का है। वैसे तो नवरात्रि का शुभ वक्त तो पूरे दिन रहेगा लेकिन अगर शुभ मुहूर्त में घट-स्थापना होगी तो जातक को फल अच्छा मिलेगा।
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9 दिनों तक माता के इन रूपों की होगी पूजा :-
28 मार्च 2017 : मां शैलपुत्री की पूजा
29 मार्च 2017 : मां ब्रह्मचारिणी की पूजा
30 मार्च 2017 : मां चन्द्रघंटा की पूजा
31 मार्च 2017 : मां कूष्मांडा की पूजा
01 अप्रैल 2017 : मां स्कंदमाता की पूजा
02 अप्रैल 2017 : मां कात्यायनी की पूजा
03 अप्रैल 2017 : मां कालरात्रि की पूजा
04 अप्रैल 2017 : मां महागौरी की पूजा
05 अप्रैल 2017 : मां सिद्धदात्री की पूजा
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