यदि किसी जातक की कुंडली में शनि की साढ़ेसाती हो, साथ ही शनि की दशा, अंतर्दशा हो और शनि वक्री भी हो तो ऐसे जातक का जीवन बर्बाद हो जाता है। उसका घर, परिवार, आय के साधन सभी शनि की चपेट में आ जाते हैं। धीरे-धीरे करके मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ता है। ऐसे में शनि की साढ़ेसाती के साथ दशा, अंतर्दशा और इस ग्रह के वक्री होने का भी उपाय किया जाता है।
जानिए! हनुमान जी को क्यों कहा जाता है पवन पुत्र
इसके लिए हनुमान चालीसा का पाठ लाभदायक माना गया है, शनि की चपेट में आए हुए जातक को रोजाना, पूरे 45 दिन तक हनुमान चालीसा का पाठ कम से कम तीन बार, हनुमान जी की तस्वीर समाने स्थापित करके करना चाहिए। उसके पश्चात पूरी दशा अवधि में कम से कम एक बार हनुमान चालीसा का पाठ करें।
इसके लिए हनुमान जी की संजीवनी पर्वत लाते हुए दर्शाई गई तस्वीर इस्तेमाल की जानी चाहिए। दरअसल हनुमान जी की संजीवनी पर्वत लाने वाली तस्वीर दो बातें दर्शाती है पहली यह कि इस कार्य को करते हुए हनुमान जी श्रीराम के भाई लक्ष्मण और अन्य वानर सैनिकों के कष्ट दूर करने का प्रयास कर रहे हैं।
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वहीं संजीवनी पर्वत लाते हुए पवन पुत्र हनुमान रफ्तार से वायु का सामना कर रहे हैं, जो इस उपाय को भी इसी तेजी से सफल बनाता है। यदि जातक कुल 45 दिनों तक, बिना कोई दिन छोड़े, रोजाना हनुमान चालीसा का पाठ कर ले तो उसके ऊपर से शनि का बुरा प्रभाव टल जाएगा। वह स्वयं ही 45 दिनों के पश्चात अपने स्वभाव और जीवन में बड़े बदलाव देख सकेगा।
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