चित्तौडग़ढ़। आचार्यश्री विद्यासागरजी महाराज के शिष्य मुनिश्री प्रमाणसागरजी महाराज ने रविवार प्रात: वण्डर सीमेंट वक्र्स निम्बाहेड़ा में धर्मसभा को संबोधित किया।
मुनिश्री ने मंगल प्रवचन में कहा कि व्यक्ति अपने स्वयं का जीवन ही निर्वाह नहीं करें अपितु समाज के अन्य व्यक्तियों के जीवन का भी निर्माण करें एवं संवेदनशील रहकर समाज एवं राष्ट्र निर्माण में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएं। व्यक्ति हिंसा का उद्योग नहीं कर औद्योगिक हिंसा के समाधान के लिए अन्य व्यक्तियों का नियोजन करें एवं दूसरे के हित के लिए स्वयं का हित त्याग कर मनुष्य से देव श्रेणी में जाने का कार्य करें।
उन्होंने कहा कि समझ और समाज में थोड़ा सा अंतर हैं लेकिन समझ पशुओं के झुण्ड को कहा जाता है और सेवाशीलता एवं संवेदनशीलता से कृत्य करते हुए मनुष्य अपने जीवन को काफी उंचाई तक ले जा सकता है। उन्होंने कहा कि व्यक्ति परिग्रही ही नहीं संग्रही बने एवं दूसरों के हित का भी बराबर ध्यान रखें।
जिस प्रकार नदी पर बांध इसलिए बनाया जाता हैं कि उसमे संग्रहित जल को सही कार्य के लिए पुन: निर्गम किया जा सके एवं केवल जल संग्रह से ही बांध का अस्तित्व नहीं रह सकता है, उसमें आने वाले पानी की लगातार निकासी से ही बांध का भी अस्तित्व कायम रहता है, उसी प्रकार व्यक्ति अपने जीवन मे अपने उद्योग धंधे एवं व्यवसाय से जितना भी धन कमाता है उसी रफ्तार से उसे सामाजिक व परोपकारी कार्यों में खर्च करने की भावना उसके मन में हमेशा कायम रहनी चाहिए। आपने व्यक्ति की चार पर्याय बतायी राक्षस, पशु मनुष्य एवं देव।
उन्न्होंने कहा कि मनुष्य परहितकारी सोच से अपने को देवत्व की श्रेणी में स्थापित कर सकते हैं। आपने कहा कि धन द्रव्य है द्रव्य का मतलब है सदैव बहता रहना चाहिए और संग्रहित द्रव्य को राष्ट्र निर्माण एवं समाज निर्माण मे हमेशा लगाते रहना चाहिए।
मुनिश्री ने कहा कि माता-पिता एवं गुरु का उपकार व्यक्ति को कभी नहीं भुलाना चाहिए। माता पिता जीवन देते है। माता-पिता जीवन निर्वाह के लिए संसाधन उपलब्ध कराते है एवं गुरु जीवन की दिशा देता है।
उन्होंने कहा कि सेठ को भी सेवक के प्रति समर्पित होना चाहिए और सेवक भी मालिक के प्रतिद्वन्दी नहीं पूरक बने एवं मालिक के द्वारा किया गया छोटे से छोटा उपकार भी कभी नहीं भूले एवं नियोक्ता मालिक भी अपने अधीनस्थ को अपने बराबर उंचा उठाने की सोच सदा मन मेंं विकसित करते। कभी भी उद्योगों में हड़ताल एवं टकराव जैसी कभी नौबत ही नहीं आएगी।
उन्होंने आरके मार्बल गु्रप एवं वण्डर सीमेन्ट की ओर से किए जा रहे सामाजिक एवं राष्ट्र निर्माण के कार्यों की भूरी-भूरी प्रशंसा की एवं आशीर्वाद दिया कि भावी पीढ़ी भी इसी सोच के साथ अपने जीवन को आगे बढ़ाएं। उन्होंने उद्योग समूह को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर की शिक्षण संस्था को खोलने का भी सुझाव दिया।
इससे पूर्व निम्बाहेड़ा तहसील के रावलिया ग्राम से विहार कर प्रात: करीब 8 बजे मुनिश्री प्रमाणसागरजी महाराज एवं विराटसागरजी महाराज वण्डर सीमेन्ट परिसर पहुंचे। जहां भव्य अगवानी की गई एवं शोभायात्रा के रूप में उन्हें सीमेंट परिसर मे प्रवास स्थल पर ले जाया गया। जहां पद प्रक्षालन एवं मंगल आरती की गई। प्रवचन सभा में दीप प्रजवल्लन एवं शास्त्र भेंट आरके मार्बल समूह के अशोक पाटनी, विमल पाटनी, सुरेश पाटनी, सुशीला पाटनी, शांता पाटनी, तारिका पाटनी ने किया।
तथा वण्डर सीमेन्ट के अध्यक्ष शशि मोहन जोशी, नितिन जैन, पीसी जैन, परमानन्द पाटीदार, जयदीप शाह एवं किशनगढ़, चितौडग़ढ़ दिगम्बर जैन समाज के अध्यक्ष राजकुमार गदिया, ओमप्रकाश गदिया, हेमेन्द्र टोंग्या, मनोहरलाल अग्रवाल सहित श्री सांवलियाजी, निम्बाहेड़ा, उदयपुर, अजमेर, जयपुर, दिल्ली, भोपाल, नीमच कांकरिया तलाई एवं अन्य शहरों से आए श्रावकों ने मुनिश्री को श्रीफल भेंट किया।
अशोक पाटनी की अगुवाई में किशनगढ़ जैन समाज द्वारा मुनिश्री का आगामी चातुर्मास किशनगढ़ में करने के लिए श्रीफल भेंट किया गया। प्रवचन सभा के बाद मुनि श्री की पूजा अर्चना की गई एवं आहार क्रिया सम्पन्न हुई। सांयकाल शंका समाधान का कार्यक्रम भी वण्डर सीमेन्ट परिसर मे ही सम्पन्न हुआ।
सोमवार को मुनिश्री का प्रात: 5.30 बजे वण्डर सीमेन्ट से निम्बाहेडा की ओर विहार होगा, जहां दिगम्बर जैन समाज के नवीन मंदिरजी की आधारशीला रखी जाएगी।