घर में मांगकर रोटी ना खाएं: मुनि पुंगव सुधा सागर जी

Samachar Jagat | Tuesday, 23 May 2017 03:50:40 PM
Do not eat bread demanded in the house: Muni Pungav Sudha Sagar

जयपुर। मां मंगल है, पूज्य है, मां से कभी मांगकर रोटी मत खाना। घर में भी अगर भोजन मांगना पड़े तो जीवन बेकार है। उक्त उद्गार संत शिरोमणि आचार्य श्री 108 विद्या सागर जी महाराज के प्रभावक शिष्य मुनि पुंगव सुधा सागर जी महाराज ने आज प्रात: श्री दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र संघी जी मंदिर सांगानेर में व्यक्त किए। मुनिश्री ने कहा कि मां तो अपने बच्चे की इच्छा उसके बोलने से पहले जानती है। पहले हमारे बुजुर्ग अपने घर पर ही निमंत्रण से भोजन स्वीकार करते थे और आज हम मांगकर खाते हैं, यह हमारा दुर्भाग्य है।

 चक्रवर्ती भी अपने घर में मांगकर नहीं खाता। मुनिश्री ने कहा कि आज हमारी संस्कृति को क्या हो गया। इसको जानने की आवश्यकता है। 50 साल का व्यक्ति भी अपने को बुजुर्ग नहीं मानता। 40 वर्ष के बाद जो जीवन जिया जाता है वह अपने लिए नहीं दूसरों के लिए होता है। मुनिश्री ने कहा कि गुरु-शिष्य के भावों को जान जाता है, अगर शिष्य की बात गुरु न सुने तो मन में मलिनता नहीं लानी चाहिए। क्योंकि जितनी देर गुरु हमारी बात सुनेंगे, उतना समय उनका व्यर्थ जाएगा। क्योंकि गुरु तो अपने शिष्य को पहचानता है। 

बड़ों को सुनाओ कम सुनो ज्यादा। मुनिश्री ने कहा कि देव व गुरु के समक्ष रोटी नहीं मांगना, बल्कि भूख ही खत्म हो जाए ऐसा वरदान मांगना। क्योंकि अगर किस्मत में सुख नहीं होता है तो वह हमें नहीं मिलता है। एक बार वर्णीजी ने स्वयं का भोजन मेहनत से बनाया और बनाने के उपरान्त उनको तेज बुखार हो गया और वह स्वयं का बनाया भोजन ग्रहण न कर सके।

 सांगानेर वाले भगवान आदिनाथ की शांतिधारा विपिन जैन- पंकज जैन दिल्ली, मनोज जैन कोटा, संजय जैन अजमेर, ओमप्रकाश, विजय कुमार धुर्रा, सुभाषचंद जैन दिल्ली, ज्ञानचंद-अमरचंद छाबड़ा रानोली, सूरजमल-सुधीर पाटोदी सांगानेर ने की।
 



 
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