लीमा। अमेरिका राष्ट्रपति बराक ओबामा और उनके चीनी समकक्ष शी चिनफिंग की आखिरी मुलाकात हुई जिसमें चीनी नेता ने चेताया कि डोनाल्ड ट्रम्प के राष्ट्रपति चुने जाने के बाद दोनों महाशक्तियों के संबंध ‘उतार चढ़ाव के दौर’ में हैं।
ट्रम्प का नाम लिए बिना शी ने उम्मीद जताई कि ओबामा ने उनके देश के साथ जिस रिश्ते को दुनिया में ‘सर्वाधिक महत्वपूर्ण’ बताया था उसमें ‘शांतिपूर्ण तरीके से बदलाव होगा।’ दोनों नेताओं की पेरू की राजधानी लीमा में ‘एशिया पैसेफिक इकोनॉमिक कोऑपरेशन’ (एपेक) शिखर सम्मेलन से अलग, मुलाकात हुई।
चुनाव प्रचार के दौरान ट्रम्प ने चीन के खिलाफ कई बार कड़ा रूख अपनाते हुए बीभजग पर जलवायु परिवर्तन की ‘शुरुआत करने’ और कारोबारी नियमों में धांधली करने का आरोप लगाया था। ट्रम्प के पास मुद्दों के अभाव को लेकर हतप्रभ व्हाइट हाउस ने वैश्विक नेताओं से ट्रम्प को पूरी जानकारी हासिल करने के लिए कुछ समय देने का अनुरोध किया है।
राष्ट्रपति पद पर ओबामा के कार्यकाल के दौरान अधिकतर समय चीन और अमेरिका के बीच सहयोग में धीमा सुधार हुआ और उन्होंने विवादों के परिणामों को सीमित करने की कोशिश की। यह सब कुछ एशिया प्रशांत क्षेत्र में प्रभाव के लिए किया गया।
व्हाइट हाउस देंग शियोपंग और माओ त्से तुंग के बाद शी को संभवत: सर्वाधिक प्रभावी चीनी नेता के तौर पर देखता है। शी ने कहा कि मुझे उम्मीद है कि दोनों पक्ष सहयोग पर, मतभेद दूर करने पर और संबंधों में शांतिपूर्ण तरीके से बदलाव सुनिश्चित करने पर मिलजुल कर काम करेंगे और यह सिलसिला आगे भी जारी रहेगा।
जनवरी 2009 में ओबामा के राष्ट्रपति बनने के बाद से उनकी और शी की यह नौवीं मुलाकात थी।
ओबामा ने कहा कि द्विपक्षीय संबंधों को और स्थायी तथा सार्थक बनाने के लिए दोनों पक्षों ने काम किया। ‘मेरा मानना है कि भारत चीन के रचनात्मक संबंधों से दोनों देशों की जनता को और पूरी दुनिया को फायदा होगा।
उन्होंने जलवायु परिवर्तन के खतरों से निपटने के लिए हुए समझौते का हवाला देते हुए कहा ‘हमने दुनिया को दिखा दिया है कि अब दोनों देश मिलजुलकर काम करते हैं तो क्या संभव हो सकता है।