सिडनी। चीन के प्रधानमंत्री ने शुक्रवार को कहा कि चीन विवादित दक्षिण चीन सागर का सैन्यीकरण नहीं कर रहा है। उन्होंने दावा किया कि कृत्रिम द्वीपों पर तैनात किए गए रक्षा उपकरण ‘‘मुख्य रूप से’’ असैन्य इस्तेमाल के लिए हैंं। दक्षिण चीन सागर को लेकर चीन का कई अन्य देशों के साथ विवाद चल रहा है जिससे क्षेत्रीय तनाव बढ़ रहा है।
चीन संसाधन सम्पन्न इस सागर के लगभग पूरे हिस्से पर अपना दावा करता है जबकि अन्य देश भी इस पर अपना दावा जताते हैं और दुनिया के अधिकांश देश इसे अंतरराष्ट्रीय जलक्षेत्र कहते हैं। चीन के प्रधानमंत्री ली क्विंग ने कैनबरा में ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री मैल्कम टर्नबुल के साथ एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि अगर वहां निश्चित मात्रा में रक्षा उपकरण या सुविधाएं हैं, तो यह नौवहन की आजादी को बनाए रखने के लिए है क्योंकि ऐसी आजादी के बिना या दक्षिण चीन सागर में स्थिरता के अभाव में सबसे पहले नुकसान चीन को ही उठाना पड़ेगा।
उन्होंने कहा कि दक्षिण चीन सागर में सैन्यीकरण करने का चीन का ‘कभी’ कोई इरादा नहीं रहा। उन्होंने कहा कि वहां ‘‘मुख्य रूप से असैन्य उद्देश्यों के लिए’’ हवाईपट्टियां बनाई गई और मिसाइल बैटरियों सहित अन्य रक्षा उपकरण तैनात किए गए। ली ने कहा कि दक्षिण चीन सागर से गुजरने वाले विमान और जहाज चीन के व्यापारिक साझेदार हैं, ‘‘तो कोई भी आसानी से इसका अनुमान लगा सकता है कि यहां पर कितने चीनी हित दांव पर लगे हैं।
सिडनी में स्वतंत्र रणनीतिक सलाहकार टिम जॉनस्टन ने कहा कि इस विवाद में शामिल चीन और अन्य दावेदार जैसे कि वियतनाम और फिलीपीन, ‘‘थोड़े कपटी हो रहे हैं। उन्होंने एएफपी से कहा कि हमारे पास तस्वीरें हैं जिनमें ऐसा लगता है कि चीन के कब्जे वाले कई द्वीपों पर सैन्य उपकरण तैनात किए गए हैं। आस्ट्रेलिया की विदेश मंत्री जूली बिशप ने भी कहा कि चीन द्वारा कृत्रिम द्वीप बनाने और संभावित सैन्यीकरण करने से क्षेत्र में अविश्वास पैदा हुआ है।