सऊदी अरब महिलाओं के लिए है नर्क के समान

Samachar Jagat | Sunday, 19 Mar 2017 03:04:33 PM
Saudi Arabia is like hell for women

सऊदी अरब में महिलाओं के सामने हर काम को करने से पहले कोई ना कोई शर्ते आडे आती है। महिलाओं को तरजीह देने के लिए गर्ल्स काउंसिल बनाई गई। हालांकि, इसमें भी महिलाओं को साथ नहीं बैठाया गया, जिसके ये पहल विवादों में आ गई।

सऊदी अरब में पहले से ही महिलाओं के लिए जिंदगी आसान नहीं है। यहां के बेतुके कानून और पाबंदियां उनके लिए हमेशा मुश्किलें खड़ी करते रहे हैं। महिलाओं को हिजाब, अबाया और बुर्के में तो रहना ही पड़ता है। इसके बावजूद उनके अकेले घर से निकलने, नौकरी करने, प्रॉपर्टी खरीदने और यहां तक की पुरुषों से बात करने पर भी पाबंदियां हैं। 

सऊदी में महिलाएं अकेले प्रॉपर्टी भी नहीं खरीद सकतीं। रियल स्टेट इन्वेस्टर लॉलवा अल सैदान ने शिकायत की थी कि एक महिला के तौर पर प्रॉपर्टी खरीदने या बेचने के लिए ये जरूरी है कि उनके पास दो पुरुष गवाह हों। 

2012 के ओलिंपिक गेम्स में पहली बार सऊदी अरब की महिला खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया था। इसे धार्मिक भावनाओं के खिलाफ मानते हुए देश में बहुत विरोध हुआ था। 

सऊदी में सख्त कानून और सजा के डर के बावजूद रेप की संख्या सबसे ज्यादा है। इसके लिए रेप के कानून को जिम्मेदार माना जाता है। हालांकि, सऊदी में शरीया कानून में रेप के लिए सजा का प्रावधान है, लेकिन यहां पत्नी के साथ जबरन संबंध बनाने को रेप नहीं माना जाता है। वहीं, रेप के लिए किसी आरोपी को तब तक सजा नहीं दी जा सकती, जब तक उसके चार चश्मदीद न हों। 

सऊदी में सरकार महिलाओं की शिक्षा के लिए काफी पैसे खर्च करती है, लेकिन नौकरी में उनकी संख्या बहुत कम है। यहां पर महिलाओं का लिटरेसी रेट 81 फीसदी है, जो 1970 में सिर्फ 2 फीसदी था। 

सऊदी अरब में महिलाओं की ड्राइविंग बैन करने के लिए कोई ऑफिशियल लॉ नहीं है। ये किंगडम के मूल्यों और आदर्शों के खिलाफ है। 
 



 

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