अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावी की जटिल प्रक्रिया पर एक नजर

Samachar Jagat | Monday, 07 Nov 2016 03:06:01 AM
One look on complicated process of US president polls

न्यूयॉर्क। अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव में अब महज दो दिन बचे हैं और ऐसे में लोगों का ध्यान एक बार यहां जटिल और लंबी चुनावी प्रक्रिया की ओर चला गया है। यहां की चुनावी प्रक्रिया भारत के चुनाव से बिल्कुल अलग है।

रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप और डेमोक्रेटिक उम्मीदवार हिलेरी क्लिंटन के बीच के मुकाबले ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लोगों का ध्यान खींचा है।
अमेरिकी मीडिया ने भी इस बार के चुनावी अभियान को देश के इतिहास का सबसे गैरपारंपरिक चुनाव अभियान बताया है।

दोनों उम्मीदवारों ने अलोकप्रियता के रिकॉर्ड बनाए हैं और सबसे ज्यादा नापसंद किए जाने वाले अमेरिकी उम्मीदवार बन गए हैं।

‘प्यू’ की ओर से किए गए सितम्बर में किए गए सर्वेक्षण के अनुसार अमेरिकी मतदाताओं में दोनों उम्मीदवारों को लेकर जुड़ाव की बहुत कमी है ।

राष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया काफी जटिल है। यहां मतदाता निर्वाचक मंडल इलेक्टोरल कॉलेज के सदस्यों का चुनाव करते हैं और फिर ये लोग आठ नवंबर को राष्ट्रपति और उप राष्ट्रपति के लिए मतदान करते हैं।

देश के 50 प्रांतों और वाशिंगटन डीसी में अलग अलग संख्या में निर्वाचक मंडल के सदस्य होते हैं।

हर प्रांत से कांग्रेस में जितने सदस्य होते हैं उतने ही सदस्य निर्वाचक मंडल के होते हैं। संविधान के 23वें संशोधन के तहत वाशिंगटन टीसी के पास निर्वाचक मंडल के तीन सदस्य चुनने का अधिकार है।

निर्वाचक मंडल के कुल सदस्यों की संख्या 538 होती है। ये लोग राष्ट्रपति और उप राष्ट्रपति का चुनाव करते हैं। निर्वाचक मंडल के कम से कम 270 सदस्यों का समर्थन हासिल करने वाला उम्मीदवार अमेरिका का राष्ट्रपति चुना जाता है।

भारत में बहुदलीय व्यवस्था है और संसदीय लोकतंत्र है, लेकिन वहां राष्ट्रपति की व्यवस्था वाली सरकार नहीं है।



 

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