काठमांडू। नेपाल ने कोसी और गंगा नदियों के जरिए भारत के साथ जल सम्पर्क विकसित करने की आज अपनी इच्छा व्यक्त की जो हिमालयी देश को पश्चिम बंगाल में बंदरगाहों से जोड़ेगा।
यह मुद्दा नेपाल के उप राष्ट्रपति नंदा बहादुर पुन ने राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के साथ अपनी मुलाकात के दौरान उठाया। मुखर्जी नेपाल की तीन दिवसीय यात्रा पर हैं जो गत 18 वर्षों में किसी भारतीय राष्ट्रपति द्वारा की पहली नेपाल यात्रा है।
भारत की नेपाल के साथ 1850 किलोमीटर लंबी खुली सीमा है जो पांच राज्यों उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल और सिक्किम तक फैली हुई है।
नेपाल में भारत के राजदूत रंजीत राय ने बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा, ‘‘सम्पर्क के सभी पहलुओं पर चर्चा हुई लेकिन इस बार रोचक चीज सामने आई जो उपराष्ट्रपति पुन द्वारा पानी से सम्पर्क की थी। वह कोलकाता से हुबली, गंगा, कोसी के जरिए सम्पर्क के बारे में बात कर रहे थे और यह तब हो सकता है यदि कोसी परियोजना विकसित हो।’’
सूत्रों ने कहा कि कोसी विकास परियोजना 60 वर्ष से अधिक समय से नदी पर बांध बनने से भूमि मुद्दों और लोगों के विस्थापन के मुद्दों के कारण लंबित है।
सूत्रों ने कहा कि नेपाल के उपराष्ट्रपति ने जिस सम्पर्क परियोजना को उठाया है वह तभी मूर्त रूप ले सकती है जब नदी पर बांधों का निर्माण हो और कोसी विकास परियोजना शुरू हो।
विदेश सचिव एस जयशंकर ने कहा कि पांच हजार मेगावाट बिजली उत्पादन के लिए पंचेश्वर बहुद्देश्यीय परियोजना की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट 30 हजार करोड़ रुपए से अधिक की है जिसके इस महीने आगे बढऩे की उम्मीद है।
राय ने कहा कि परियोजना 20 प्रतिशत इक्विटी और 80 प्रतिशत ऋण पर आधारित है। इसमें भारत और नेपाल 20 प्रतिशत इक्विटी समान आधार पर साझा करेंगे।
इससे पहले मुखर्जी ने नेपाल की राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी के साथ बातचीत की जिन्होंने कहा कि यह यात्रा एक अच्छे समय पर हो रही है।
जयशंकर ने कहा कि मुखर्जी ने भंडारी को अपनी सुविधानुसार समय पर भारत यात्रा करने के लिए आमंत्रित किया जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया।
यह पूछे जाने पर कि क्या दक्षेस और आतंकवाद पर कोई चर्चा हुई, उन्होंने कहा कि अधिकतर चर्चा द्विपक्षीय संबंधों पर केंद्रित रही।
नेपाल में 2015 में भीषण भूकंप आने के बाद देश को मदद पहुंचाले वाला भारत पहला देश था।
उन्होंने कहा कि भारत की ओर से नेपाल के लिए एक अरब डालर की सहायता का वादा किया गया। इसमें 25 करोड़ डालर का अनुदान और 75 करोड़ डालर का ‘लाइन ऑफ क्रेडिट’ शामिल है। भारत ने 50 हजार मकान का पुनर्निर्माण करने की प्रतिबद्धता जताई है जिसके लिए नेपाल की ओर से प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।