जकार्ता। भारत और उसके साथ हिंद महासागर क्षेत्र को साझा करने वाले 20 अन्य देशों ने मंगलवार को आतंकवाद और हिंसक उग्रवाद से निपटने के एक दूसरे के प्रयासों का समर्थन करने का फैसला किया है। वहीं इस फैसले के साथ ही इस दिशा में सूचना साझा करने पर भी सभी देशों ने सहमति जताई।
हिंद महासागर रिम संघ आईओआरए के सदस्य देशों के नेताओं ने वैश्विक आतंकवाद निरोधक रणनीति और संयुक्त राष्ट्र महासभा के प्रस्ताव समेत अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर संयुक्त राष्ट्र के सभी प्रासंगिक प्रस्तावों और घोषणाओं के प्रभावी क्रियान्वयन पर भी जोर दिया। इन नेताओं में भारत के उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी भी शामिल रहे।
इन देशों ने हिंसक उग्रवाद का मुकाबला करते हुए अंतरराष्ट्रीय कानून एवं मानवाधिकारों के प्रति अपने समर्थन को भी दोहराया। आईओआरए देशों के यहां आयोजित पहले सम्मेलन में आतंकवाद और हिंसक उग्रवाद को रोकने और उसका मुकाबला करने पर जारी घोषणा में यह बात स्वीकार की गयी कि आतंकवाद अपने सभी स्वरूपों और प्रकारों में क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा को गंभीर खतरा पहुंचाता है और आर्थिक विकास एवं सामाजिक समावेश को बाधित करता है।
घोषणा में संघ के नेताओं ने सहयोग और समन्वय बढ़ाकर, संवाद तथा सूचना साझेदारी बढ़ाकर, विशेषज्ञता आदि के माध्यम से आतंकवाद और हिंसक उग्रवाद से होने वाले खतरे का मुकाबला करने के एक-दूसरे के प्रयासों का समर्थन करने का फैसला किया है।
सभी देशों के नेताओं ने आतंकवाद और हिंसक उग्रवाद से प्रभावी तरीके से निपटने और उसके लिए सहायक परिस्थितियों पर ध्यान देने के लिए स्थानीय, राष्ट्रीय, क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय, सभी स्तरों पर सहयोग की जरूरत को रेखांकित किया।
इस घोषणा में युवाओं के कट्टरता की ओर बढऩे से उन्हें रोकने में माता-पिता, शिक्षकों, समुदाय के नेताओं, शिक्षा और सिविल सोसायटी के महत्व पर भी जोर दिया गया। इसमें हिंसक उग्रवाद को किसी भी धर्म, जातीय समूह, संस्कृति या राष्ट्रीयता से जोड़े जाने के किसी भी प्रयास को खारिज किया।
भाषा