काठमांडू। भारत ने नेपाल के नए संविधान को लागू करने में मेजबान देश के प्रयासों का स्वागत करते हुए आज कहा कि इस प्रक्रिया में समाज के सभी वर्गों को ‘‘समान पक्षों’’ के तौर पर शामिल करना चाहिए।
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने अपनी यात्रा के दूसरे दिन कहा कि भारत इस हिमालयी देश में मजबूत लोकतांत्रिक संस्थाओं के निर्माण का अपना अनुभव उससे साझा करने के लिए तैयार है।
पिछले 18 साल में नेपाल की यात्रा पर आए पहले भारतीय राष्ट्रपति मुखर्जी ने कहा, ‘‘भारत नेपाल के लोगों के प्रयासों और उपलब्धियों की सराहना करता है। हम मजबूत लोकतांत्रिक संस्थाओं के निर्माण का अपना अनुभव नेपाल से साझा करने के लिए तैयार हैं।’’
यहां इंडिया फाउंडेशन और नीति अनुसंधान प्रतिष्ठान नेपाल की ओर से ‘नेपाल एंड इंडिया एक्सप्लोरिंग न्यू विस्टाज’ विषय पर आयोजित एक सेमिनार में उन्होंने कहा, ‘‘भारत नेपाल के संविधान के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए समाज के सभी वर्गों को साथ लेकर चलने के नेपाल सरकार के मौजूदा प्रयासों का स्वागत करता है। हम इस प्रयास में नेपाल के लोगों को सफलता की शुभकामनाएं देते हैं।’’
इससे पहले नेपाली मीडिया को दिए एक इंटरव्यू में मुखर्जी ने लोकतंत्र के निर्माण की प्रक्रिया में नेपाली समाज के सभी वर्गों को ‘‘समान पक्षोंं’’ के तौर पर शामिल करने की जरूरत पर जोर दिया। संभवत नए संविधान के मुद्दे पर राजनीतिक उथल-पुथल का हवाला देते हुए राष्ट्रपति ने यह बात कही। नए संविधान के मुद्दे पर कुछ दिनों पहले भारत और नेपाल के संबंधों में खटास भी आई थी।
मुखर्जी ने कहा, ‘‘ये सबक नेपाल के लिए ऐसे वक्त में फायदेमंद हो सकते हैं जब वह लोकतंत्र के निर्माण के अपने पथ पर आगे बढ़ रहा है। एक करीबी पड़ोसी होने के नाते भारत नेपाल की शांति, स्थिरता और प्रगति में दिलचस्पी रखता है।’’
नेपाल की राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी, उप-राष्ट्रपति नंद बहादुर पुन और प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ सहित कई नेताओं से मुलाकात करने वाले मुखर्जी ने मधेसियों की मांगें पूरी करने के लिए नेपाल के नए संविधान में किए जा रहे बदलावों का भी जिक्र किया।
नेपाल के दक्षिणी तराई इलाकों में रहने वाले भारतीय मूल के लोगों को मधेसी कहा जाता है।
मधेसियों ने संसद में बेहतर प्रतिनिधित्व की मांग के साथ कई महीने तक प्रदर्शन किया था। उन्होंने आरोप लगाया था कि पिछले साल सितंबर में लागू किया गया संविधान उनके हितों से भेदभाव करता है।
मुखर्जी ने कहा कि नेपाल बहुदलीय लोकतंत्र के फायदों का लाभ लेने का प्रयास कर रहा है और अभी अपने सभी क्षेत्रों में सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए रूपरेखा तय करने में जुटा है।
पहले से ज्यादा संपर्क का आह्वान करते हुए मुखर्जी ने कहा कि दोनों देश दोनों दिशाओं में पर्यटकों की आवाजाही बढ़ाने के लिए काफी कुछ कर सकते हैं और ‘रामायण’ एवं ‘बौद्ध’ पर्यटन सर्किट का विकास कर सकते हैं।
उन्होंने कहा कि हवाई, रेल एवं सडक़ संपर्क बढ़ाने से पर्यटन एवं लोगों की सामान्य आवाजाही को प्रोत्साहन मिलेगा।
मुखर्जी ने कहा, ‘‘उप-क्षेत्रीय स्तर पर हमने बांग्लादेश से वस्तुएं भारत के जरिए नेपाल और भूटान तक सुगमता से पहुंचाने के लिए परस्पर फायदेमंद समझौता किया है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘बांग्लादेश, भूटान, भारत और नेपाल के बीच मोटर वाहन समझौता बेशक क्षेत्र के आर्थिक विकास के साझा लक्ष्य में अच्छा-खासा योगदान करेगा। इस उप-क्षेत्रीय सहयोग तंत्र की सफलता इसे आगे की पहलों के लिए एक मॉडल बना सकती है।’’
सेमिनार को संबोधित करते हुए मुखर्जी ने कहा कि नेपाल के साथ सीमा पर आधारभूत संरचना का विकास और हुलाकी सडक़, सीमा पार रेल संपर्क, एकीकृत जांच चौकियों, सीमा पार पारेषण लाइनों जैसी परियोजनाओं का मकसद क्षेत्र में आर्थिक समृद्धि को व्यापक बनाना है।’’
सीमा पार आतंकवाद के खिलाफ कड़ा संदेश देते हुए मुखर्जी ने कहा कि भारत ‘बिम्सटेक’ और ‘सार्क’ की रूपरेखा में क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा देने को लेकर प्रतिबद्ध है, सीमा पार आतंकवाद की छाया में परस्पर फायदेमंद सहयोग को प्रोत्साहित नहीं किया जा सकता है।
इस बीच, मुखर्जी को नेपाल की काठमांडू यूनिवर्सिटी ने मानद डी.लिट से नवाजा। अंतरराष्ट्रीय संबंध, लोक प्रशासन में योगदान एवं एक सफल राजनीतिक करियर के लिए मुखर्जी को डी.लिट से सम्मानित किया गया।
मुखर्जी ने इस मौके पर कहा कि नवोन्मेष औद्योगिक विकास की कुंजी है और दक्षिण एशिया की यूनिवर्सिटियों को जरूरी ‘‘माहौल’’ मुहैया कराया जाना चाहिए ताकि शोध एवं नवोन्मेष को बढ़ावा मिले।
डी.लिट स्वीकार करते वक्त अपने संबोधन में मुखर्जी ने कहा कि वैश्विक रैंकिंग में इस क्षेत्र की शैक्षणिक संस्थाएं जगह हासिल नहीं कर पातीं। उन्होंने कहा कि ऐसा छात्रों या शिक्षकों में प्रतिभा की कमी की वजह से नहीं, बल्कि ‘‘कुछ तकनीकी पहलुओं’’ के कारण होता है जिस पर काम करने की जरूरत है।
इससे पहले, सेमिनार को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति मुखर्जी ने घोषणा की कि अगले साल से नेपाली छात्र भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों आईआईटी के अंडर-ग्रैजुएट और पोस्ट-ग्रैजुएट पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए आयोजित की जाने वाली परीक्षा में काठमांडू में भी हिस्सा ले सकेंगे।
मुखर्जी ने कहा, ‘‘अपने मानव संसाधन विकास से नेपाल की मदद करके भारत खुश है। हर साल नेपाली छात्रों को दी जाने वाली करीब 3,000 छात्रवृतियों में हमारी यह प्रतिबद्धता झलकती है, जिससे नेपाल और भारत में उन्हें पढ़ाई के मौके मिल पाते हैं। हम भारत की तकनीकी संस्थाओं में नेपाल के सरकारी और गैर-सरकारी कर्मियों के प्रशिक्षण के लिए 250 से ज्यादा छात्रवृतियों की पेशकश करते हैं।’’
राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘मुझे यह ऐलान करने में बेहद खुशी हो रही है कि 2017 से नेपाली छात्रों को नियमित तौर पर आईआईटी में अंडर-ग्रैजुएट और पोस्ट-ग्रैजुएट पाठ्यक्रमों में दाखिले का मौका मिलेगा। इसके लिए हमारी प्रौद्योगिकी संस्थाएं नेपाली छात्रों के लिए प्रवेश परीक्षाएं खोलेंगी। अभ्यर्थियों को काठमांडू में ही इन परीक्षाओं में शामिल होने का विकल्प भी मिलेगा।’’