सिंधु आयोग की बैठक में भाग लेने पाकिस्तान पहुंचा भारतीय प्रतिनिधिमंडल

Samachar Jagat | Monday, 20 Mar 2017 09:11:54 AM
Indian delegation reached Pakistan to participate in the Indus Commission meeting

लाहौर/नई दिल्ली। पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में कल से आरंभ हो रही स्थाई सिंधु आयोग पीआईसी की बैठक में भाग लेने के लिए 10 सदस्यीय भारतीय प्रतिनिधिमंडल आज यहां पहुंच गया। दो दिवसीय बैठक में भाग लेने जा रहे इस प्रतिनिधिमंडल में भारत के सिंधु जल आयुक्त पीके सक्सेना, विदेश मंत्रालय के अधिकारी और तकनीकी विशेषज्ञ शामिल हैं। वरिष्ठ पाकिस्तानी अधिकारियों और भारतीय उच्चायोग के अधिकारियों ने वाघा सीमा पर प्रतिनिधिमंडल का स्वागत किया। 

वाघा सीमा पर पहुंचे मीडिया कर्मियों को प्रतिनिधिमंडल तक पहुंचने नहीं दिया गया। यहां पहुंचने के बाद प्रतिनिधमंडल कड़ी सुरक्षा के बीच सडक़ के रास्ते इस्लामाबाद के लिए रवाना हो गया। 

इस बीच भारत सरकार के एक सूत्र ने पीटीआई-भाषा से कहा कि भारत सिंधु जल संधि के तहत परियोजनाओं को लेकर पाकिस्तान की चिंताओं पर चर्चा करने और उनका समाधान करने के लिए सदा तैयार है। 

हलांकि सूत्र ने इस बात को दोहराया कि भारत की ओर से 57 साल पुरानी इस संधि के तहत अपने उचित अधिकारों को दोहन करने को लेकर कोई समझौता नहीं किया जाएगा।

बहरहाल, इस बैठक के एजेंडे को अभी अंतिम रूप नहीं दिया गया है। उरी आतंकी हमले के बाद भारत की ओर से इस संधि पर बातचीत नहीं करने का फैसला करने के छह महीने के उपरांत यह बैठक होने जा रही है।

यह पूछे जाने पर कि क्या बैठक के एजेंडे को लेकर सहमति बनाने में विलंब से मुद्दों के समाधान के लिए कम समय मिलेगा तो सूत्र ने ना में जवाब दिया। सरकारी सूत्र ने कहा, हम इस तरह की बैठकों में हमेशा आशावादी सोच के साथ जाते हैं...अतीत में भी बैठक के एजेंडे को अंतिम रूप देने में विलंब होता रहा है।

सूत्र ने याद दिलाया कि सात साल पहले उरी-2 और चटक पनबिजली परियोजनाओं को लेकर पाकिस्तान की चिंताओं का कैसे समाधान किया गया था। पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर के बारामूला और करगिल जिलों में बनी 240 मेगावाट की उरी-2 परियोजना तथा 44 मेगावाट की चटक परियोजना को लेकर आपत्ति जताते हुए कहा था कि इनकी वजह से वह अपने हिस्से के पानी से वंचित रह जाएगा।

बहरहाल, मई, 2010 में हुई बैठक में जब भारतीय पक्ष ने इन परियोजनाओं के बारे में विवरण दिया तो पाकिस्तान ने अपनी आपत्ति वापस ले ली।
इसी तरह पाकिस्तान पाकल डल, रातले, किशनगंगा, कलनाई परियोजनाओं को लेकर भी आपत्ति जताता रहा है।

उसने पिछले साल अगस्त में विश्व बैंक का भी रूख किया था और किशनगंगा तथा रातले परियोजनाओं का मुद्दा उठाया था। 57 साल पहले विश्व बैंक की मध्यस्थता में ही दोनों देशों के बीच यह संधि हुई थी।

वैसे, इस बात को लेकर अभी कोई स्पष्टता नहीं है कि क्या इस्लामाबाद में होने जा रही बैठक में इन दोनों परियोजनाओं से संबंधित मुद्दे उठेंगे क्योंकि ये दोनों विश्व बैंक के समक्ष लंबित हैं।

सरकारी सूत्र ने कहा कि पाकल डल, मियार और लोवर कलनाई परियोजनाओं को लेकर चर्चा हो सकती है। पाकिस्तान का कहना है कि ये परियोजनाएं संधि के मुताबिक नहीं हंै, हालांकि भारत का पक्ष इसके विपरीत है।
 



 

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