डेथ सेल्फी पर अलर्ट करेगा यह एप, भारतीय-अमेरिकी वैज्ञानिकों की रिसर्च जारी

Samachar Jagat | Sunday, 20 Nov 2016 02:18:49 PM
Indian American scientists continue research against Selfie deaths App

नई दिल्ली। शौक से जुनून बनी ‘सेल्फी‘की इस ‘संक्रामक’ बीमारी से होने वाली मौतों को मात देने के लिए अमेरिका और भारत के वैज्ञानिक एक सेल्फी अलर्ट एप तैयार रहे हैं जो खतरनाक पोज देने वालों को चेतावनी दे सकेगी कि इस ‘करामती’ पोज से उनकी मौत हो सकती है। 

एक तरफ जहां अमेरिका में पेनसिल्वेनिया के पीट्सबर्ग में कारनेगी मेलन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता एक ऐसा एप बना रहे हैं जिससे खतरनाक स्थानों पर सेल्फी के लिए पहुंचने से पहले ही अलर्ट की घंटी बज जायेगी वहीं दूसरी तरफ दिल्ली के इंद्रप्रस्थ सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान के प्रोफेसर पोन्नुरंगम कुमारगुरु भी कुछ इसी तरह के ही एप पर काम कर रहे हैं। 

अमेरिका के इस विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ कम्प्यूटर साइंस मेें पीएचडी कर रहे हेमनाक लांबा और उनकी टीम सेल्फी अलर्ट एप पर काम कर ही है। टीम ने इसके लिए ‘एलगौरथम’(कलनविधि) विकसित किया है जो आंकडों और तथ्यों के आधार पर लोगों को यह बता सकेगा कि कौन -सा स्थान खतरनाक है। 

इस एप के माध्यम से खतरनाक स्थानों पर सेल्फी के लिए पहुंचने वालों के मोबाइल फोन से घंटी बज जाएगी कि जहां आप पहुंचने वाले हैं वहां आपकी मौत हो सकती है। ऐसे स्थानों की तीन हजार सेल्फी का परीक्षण किया गया है। टीम का दावा है कि देश, समय और स्थिति के आधार पर खतरनाक सेल्फी की पहचान और अलर्ट से संबंधित शोधों में 70 प्रतिशत से अधिक सफलता मिली है और शीघ्र ही वे इस एप को लांच कर सकेंगे।

इस टीम ने अपने अध्ययन के दौरान यह विशेष तौर पर गौर किया कि सेल्फी के लिए ऊंचे स्थानों पर पहुंचे लोगों की अधिक मौतें हुई हैं। उसका यह भी मानना है कि भारत के युवा वर्ग में ट्रेन और उसके ट्रैक के पास सेल्फी लेने का प्रचलन -सा है क्योंकि वह इसे रोमांटिक मानता है और उसमें एक तरह का विश्वास है कि ट्रेन के पास सेल्फी लेने से जोड़ी का बंधन अटूट रहता है।

इस बीच प्रोफेसर कुमारगुरु ने ‘डिजिटल ट्रेंड’ को बताया कि इस वर्ष गर्मी के मौसम में सेल्फी लेते वक्त एक व्यक्ति की मौत की खबर उनकी शोध टीम में सर्कुलेट हुुई थी। इस खबर ने उन्हें व्यथित कर दिया था। 

उन्होंने कहा हम सेल्फी के दौरान मौत की घटनाओं और उससे बचने के विभिन्न आयाम पर काम कर रहे हैं। इनमें स्मार्ट फोन के कैमरे से खतरनाक स्थानों एवं परिस्थितियों के बारे में चेतावनी की सूचनाएं विशेष रूप से शामिल हैं। इसके साथ ही खतरनाक स्थान को क्रमवार भी डिसप्ले किया जाएगा।

शोधकर्ताओं के अनुसार मोबाइल फोन में फ्रंट कैमरा आ जाने के बाद सोशल मीडिया पर तरह-तरह की सेल्फी पोज शेयर करने की होड़-सी लग गई और इसी के साथ सेल्फी मौतों की खबरें भी समाचार पत्रों, टेलीविजन चैनलों आदि पर बंटोरने लगी। सेल्फी लेने के वक्त हुयी कई दर्दनाक मौतों से आहत यह टीम इस एप पर काम कर रही है।

सेल्फी के दौरान अब तक सबसे अधिक मौतें भारत में हुई हैं और हर वर्ष यह आंकड़ा बढ़ रहा है। इस टीम के अनुसार मार्च 2014 में सेल्फी मौत का पहला पुष्ट मामला सामने आया था। उसके बाद से अब तक 127 लोगों की मौत हो चुकी हैं जिनमें सर्वाधिक 76 भारतीय हैं। इसके बाद पाकिस्तान, अमेरिका और रूस में सेल्फी के चक्कर में लोगों की जानें गयी हैं। हाल ही में विशेषज्ञों ने एक अध्ययन के बाद सेल्फी को एक तरह की मानसिक बीमारी की तरह माना है।

वर्ष 2013 में ऑक्सफोर्ड इंग्लिश शब्दकोश ने सेल्फी की बढ़ती लोकप्रियता को देखते हुए 2013 में ऑक्सफोर्ड इंग्लिश शब्द कोश के ऑनलाइन वर्जन में भी इसे शामिल कर लिया। इस शब्द को 2013 का ‘वर्ड ऑफ द ईयर’ भी घोषित किया गया। लेकिन समय के साथ सेल्फी के चक्कर में लोगों की मौत का सिलसिला शुरू हो गया। सोशल मीडिया के इस दौर में ‘सेल्फी मौतों’ की संख्या लगातार बढ़ रही है। फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम, ह्वाट््स अप, आदि पर ज्यादा से ज्यादा ‘लाइक्स’ बटोरने की चाह में कई लोग जोखिम उठाने से हिचकते नहीं हैं। सेल्फी के कारण कई दिल दहलाने वाली घटनाएं हुई हैं।

अलग अंदाज में सेल्फी लेने के चक्कर में महाराष्ट्र के नागपुर की एक झील में नाव पर सवार छात्रों की मौत हो गई। नौका पर क्षमता से अधिक छात्र सवार थे और नौका पलट गई। आगरा में ताजमहल के सामने एक जापानी पर्यटक सेल्फी लेने के दौरान सीढिय़ों से नीचे गिर गया और इलाज के दौरान उसकी अस्पताल में मौत हो गई।

रूस में एक किशोर की रेलवे पुल के ऊपर सेल्फी लेने के चक्कर में पैर फिसलने से गिरकर मौत हो गई। अमेरिका के कैलिफोर्निया में एक महिला ने बंदूक के साथ सेल्फी लेनी की कोशिश की। इस बीच बंदूक का ट्रिगर दबने से उसकी मौत हो गई। सिंगापुर में पहाड़ की चोटी पर सेल्फी के दौरान एक व्यक्ति नीचे गिर गया। बुल्गारिया में सांडों के साथ सेल्फी खींचना भी एक व्यक्ति को महंगा पड़ गया।

वर्ष 2005 में पहली बार सेल्फी शब्द का इस्तेमाल किया गया था और ‘टाइम‘पत्रिका ने सेल्फी शब्द को उस साल के शीर्ष 10 शब्दों में स्थान दिया। धीरे-धीरे सेल्फी प्रेम ने शौक से जुनून और जुनून से ‘आत्मघाती’ रूप अख्तियार कर लिया। 
 



 

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