तोक्यो। आतंकवाद की बढ़ती समस्या पर चिंता जताते हुए भारत और जापान ने आज सभी देशों का आह्वान किया कि वे आतंंकवाद की पनाहगाहों को खत्म करने, उनके नेटवर्क को बाधित करने और आतंकवादियों की सीमा पार गतिविधि पर अंकुश लगाने के लिए मिलकर काम करें। ऐसा लगता है कि यहां का परोक्ष संदर्भ पाकिस्तान का था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके जापानी समकक्ष शिंजो आबे के बीच हुई वार्षिक शिखर वार्ता के बाद जारी साझा बयान में कहा गया है, ‘‘दोनों प्रधानमंत्रियों ने सभी तरह के आतंकवाद और उसके स्वरूपों की ‘बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करने’ की भावना के साथ कड़े शब्दों में निंदा की है।’’
दोनों नेताओं ने आतंकवाद और हिंसक चरमपंथ और इसकी सार्वभौमिक पहुंच की बढ़ती समस्या को लेकर चिंता जताई।
जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र द्वारा वैश्विक आतंकी घोषित कराने के भारत के प्रयास का हवाला देते हुए कहा गया, ‘‘उन्होंने सभी देशों का आह्वान किया कि आतंकी इकाइयां घोषित करने से जुड़े संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् के प्रस्ताव 1267 और अन्य संबंधित प्रस्तावों के क्रियान्वयन कराएं।’’
चीन ने अजहर को आतंकी घोषित कराने के भारत के प्रयास में अपने वीटो का इस्तेमाल करते हुए अवरोध पैदा कर दिया है।
बयान के अनुसार मोदी और आबे ने सभी देशों का आह्वान किया कि वे आतंकवाद की पनाहगाहों एवं ढांचे को खत्म करने, आतंकी नेटवर्क और इनके वित्तीय माध्यमों को बाधित करने तथा आतंकवादियों की सीमा पार गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लिए काम करें।
दोनों नेताओं ने ढाका और उरी हमले सहित हालिया आतंकवादी हमलों में मारे गए लोगों के परिवारों के प्रति संवेदना प्र्रकट की।